पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
जन्म | 03 मार्च 1956 |
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उपनाम | "आज़र" |
जन्म स्थान | बिजनौर, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र" / परिचय |
- किसको फुर्सत है दुनिया में कौन बुलाने आएगा / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- समझेगा कौन हमको इतना ज़रा बता दो / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- ज़रा सा पास आओ तो, नज़र को भी नज़र आए / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- फ़ुर्सत के पल निकाल कर, मिलता ही कौन है / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- मेरा ज़नूने-शौक है, या हद है प्यार की / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- वो ख़्वाब था बिखर गया, ख़याल था मिला नहीं / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- मैं मुसाफिर ही रहूँगा उसने एसा क्यूँ कहा / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- कामयाबी के भरोसे गिन रहा हूँ / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- उदासियाँ समेट ले किसी का अब तो मीत बन / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- आप की संगत का ये’ अंदाज़ मन को भा गया / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- सूरज उगा तो फ़ूल-सा, महका है कौन-कौन / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- मुझको न देख दूर से , नज़दीक आ के देख / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- यूं मुस्करा तुम मिले इतने दिनों के बाद / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- निराली रुत में ढलना चाहता है / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- बनी तस्वीर या बिगड़ी , जहाँ में रंग भर आए / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- धूप में अब छाँव मुमकिन, जेठ में बरसात मुमकिन / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- न किसी का घर उजड़ता, न कहीं गुबार होता / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- अगर तुम वही हो जो तस्वीर में हो / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- किसने ये हमको ख़्वाब में इतना डरा दिया / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- ऐसा लगता है कि जैसे कुछ न कुछ होने का है / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- बंद मुठ्ठी में छुपा है राज़ दिलबर देखना / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- मज़ा आ रहा है ग़ज़ल में तेरी / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- हमारे दरमियाँ जो फासला है / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- ये तेरी सोच हम सफ़र, गए दिनो से है अलग / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- जलते-जलते जिंदगी ,इक दिन धुआँ बन जाएगी / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- जलते बदन हैं दोनों पैदा है होती आग / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- आपकी याद आती रही रात भर / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- दिलों में सभी के , मोहब्बत जगा दें / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- मिली नज़र से यूँ मिली उठी नज़र न हट सकी / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- जमाना क्यूं उसे कहता भला है / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- लगी आग सीने में मेरे लगी है / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- अपने लहू से सींचो ,अब प्यार के चमन को / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- अपने वतन की ख़ुशबू ,फैली है कुल जहाँ में / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- अभी बोल उठ्ठेगी, पत्थर कि मूरत /पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
- मुद्दत-सी हो गई , गम-ए-दर्द को सम्भाले/पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"