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श्रेणी:ग्रीष्म ऋतु
Pratishtha
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"ग्रीष्म ऋतु" श्रेणी में पृष्ठ
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आ
आज वृंदाविपिन कुंज अद्भुत नई / नंददास
ऊ
ऊधव के उपदेश सुनो ब्रज नागरी / नंददास
ए
एक घर : गर्मी की दुपहरी में / गोविन्द माथुर
एक भूत में होत, भूत भज पंचभूत भ्रम / केशव.
क
कम करती है गर्मी की मनमानी को / जहीर कुरैशी
ग
गरमी में प्रात:काल / हरिवंशराय बच्चन
गर्मियों की एक रात में / गुलाम मोहम्मद शेख
गर्मी / दीनदयाल शर्मा
गर्मी आई / शिवराज भारतीय
गर्मी के दिन / शशि पाधा
गर्मी के फल / त्रिलोचन
गर्मी में एक पंखे की तरह / विमल कुमार
गर्मी में सूखते हुए कपड़े / केदारनाथ सिंह
ग आगे.
ग्रीषम की गजब धुकी है धूप धाम-धाम / ग्वाल
ग्रीषम की पीर के विदीर के सुनो ये साज / ग्वाल
ग्रीषम प्रचंड घाम चंडकर मंडल तें / देव
ग्रीष्म / महेन्द्र भटनागर
ग्रीष्म : एक कविता / शैलेन्द्र चौहान
ग्रीष्म के दोहे / राम सनेहीलाल शर्मा 'यायावर'
ग्रीष्म के स्तूप / पूर्णिमा वर्मन
ज
जेठ को न त्रास, जाके पास ये बिलास होंय / ग्वाल
त
तपन लाग्यौ घाम, परत अति धूप भैया / नंददास
द
दोपहरी / शकुन्त माथुर
प
पवन चक्र परचंड चलत, चहुँ ओर चपल गति / केशव.
पाय रितु ग्रीषम बिछायत बनाय, वेष / ग्वाल
प्रार्थी. / सुकान्त भट्टाचार्य
प आगे.
प्रिये आया ग्रीष्म खरतर... / कालिदास
ब
बरफ-सिलान की बिछायत बनाय करि/ ग्वाल
बैठे लाल फूलन के चौवारे / कुम्भनदास
भ
भारतीय ग्रीष्म / बरीस पास्तेरनाक
म
मेष-वृष तरनि तचाइन के त्रासन तें / ग्वाल
र
रितु ग्रीषम की प्रति बासर केशव, खेलत हैं जमुना-जल में / केशव.
रुचिर चित्रसारी सघन कुंज में मध्य कुसुम-रावटी राजै / नंददास
ष
षट्-ऋतु-वर्णन-खंड / मलिक मोहम्मद जायसी
स
सीतल महल महा, सीतल पटीर पंक / देव
सीतल सदन में सीतल भोजन भयौ / कुम्भनदास
सीमाब पुश्त-ए-गर्मी-ए-आईना दे, हैं हम / ग़ालिब
सूर आयौ माथे पर, छाया आई पाँइन तर / नंददास
सूरज-सुता के तेज तरल तरंग ताकि / ग्वाल