जत्ते चले चलैने जा
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रचनाकार | कैलाश झा 'किंकर' |
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प्रकाशक | शेखर प्रकाशन, बोरिंग रोड (पश्चिम), 59, गांधी नगर, पटना-800001 |
वर्ष | 2001 |
भाषा | अंगिका |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 24 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- कविजी / कैलाश झा ‘किंकर’
- अंग-महिमा / कैलाश झा ‘किंकर’
- हमरऽ दिन की एहने रहतै! / कैलाश झा ‘किंकर’
- जत्तेॅ चलेॅ चलैने जा / कैलाश झा ‘किंकर’
- बढ़ियें होय छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- शक्ति-शक्ति के जलै मशाल / कैलाश झा ‘किंकर’
- भेलै केहन ससुरा / कैलाश झा ‘किंकर’
- बकलेल / कैलाश झा ‘किंकर’
- दीवाली / कैलाश झा ‘किंकर’
- नाता टुटलै / कैलाश झा ‘किंकर’
- प्रेम-प्यार के बाते छोड़ऽ / कैलाश झा ‘किंकर’
- बूढ़ऽ तेॅ जपाले होय छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- बाकी सबकुछ ठीक-ठाक छै / कैलाश झा ‘किंकर’
- बैठ केॅ धुनऽ अप्पन कपार / कैलाश झा ‘किंकर’
- होली / कैलाश झा ‘किंकर’
- गुरुजी / कैलाश झा ‘किंकर’
- भीतर सें करथौं आघात / कैलाश झा ‘किंकर’
- फैशन के पीने शराब छै / कैलाश झा ‘किंकर’