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"आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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19:08, 17 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण
आरज़ू लखनवी
जन्म | 18 फ़रवरी 1872 |
---|---|
निधन | 1951 |
उपनाम | आरज़ू |
जन्म स्थान | लखनऊ |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
फ़ुग़ाने आरज़ू, जहाने ‘आरजू’, गजलियात | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
आरज़ू लखनवी / परिचय |
ग़ज़लें
- हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम की अंजुमन में नहीं / आरज़ू लखनवी
- आके क़ासिद ने कहा जो, वही अक्सर निकला / आरज़ू लखनवी
- नादाँ की दोस्ती में जी का ज़रर न जाना / आरज़ू लखनवी
- दिल का जिस शख़्स के पता पाया / आरज़ू लखनवी
- यह मेरी तौबानतीजा है बुख़लेसाक़ी का / आरज़ू लखनवी
- हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया / आरज़ू लखनवी
- जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक / आरज़ू लखनवी
- जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं / आरज़ू लखनवी
- मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं / आरज़ू लखनवी
- तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार / आरज़ू लखनवी
- खुद चले आओ या बुला भेजो / आरज़ू लखनवी
- क़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्लतक पहुंची / आरज़ू लखनवी
- अब मुझको फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या / आरज़ू लखनवी
- इक जाम-ए-बोसीदा हस्ती और रूह अज़ल से सौदाई / आरज़ू लखनवी
- मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र / आरज़ू लखनवी
- रहते न तुम अलग-थलग हम न गुज़रते आप से / आरज़ू लखनवी
- आ गई मंज़िलें-मुराद, बांगेदरा को भूल जा / आरज़ू लखनवी
- क्यों किसी रहबर से पूछूँ अपनी मंज़िल का पता / आरज़ू लखनवी
- नैरंगियाँ चमन की तिलिस्मे-फ़रेब हैं / आरज़ू लखनवी
- दो घड़ी को दे दे कोई अपनी आँखों की जो नींद / आरज़ू लखनवी
- जो दर्द मिटते मिटते भी मुझको मिटा गया / आरज़ू लखनवी
- जो कोई हद हो मुअ़य्यन तो शौक़, शौक़ नहीं / आरज़ू लखनवी
- ज़माने से नाज़ अपने उठवानेवाले / आरज़ू लखनवी
- ख़ुदारा! न दो बदगुमानी का मौका / आरज़ू लखनवी
- पलक झपकी कि मंज़र ख़त्म था बर्के-तजल्ली का / आरज़ू लखनवी
- महमाँनवाज़, वादिये-गुरबत की ख़ाक थी / आरज़ू लखनवी
- क़रीबेसुबह यह कहकर अज़ल ने आँख झपका दी / आरज़ू लखनवी
- जिसमें कैफ़ेग़म नहीं, बाज़ आये ऐसे दिल से हम / आरज़ू लखनवी
- साथ हर हिचकी के लब पर उनका नाम आया तो क्या? / आरज़ू लखनवी
- जवाब देने के बदले वो शक्ल देखते हैं / आरज़ू लखनवी
- आफ़त में पडे़ दर्द के इज़हार से हम और / आरज़ू लखनवी
- सरूरे-शब का नहीं, सुबह का ख़ुमार हूँ मैं / आरज़ू लखनवी
- न यह कहो "तेरी तक़दीर का हूँ मै मालिक" / आरज़ू लखनवी
- हर दाने पै इक क़तरा, हर क़तरे पै इक दाना / आरज़ू लखनवी
- हुस्ने-सीरत पर नज़र कर, हुस्ने-सूरत को न देख / आरज़ू लखनवी
- उठ खड़ा हो तो बगोला है, जो बैठे तो गु़बार / आरज़ू लखनवी
- सबब बग़ैर था हर जब्र क़ाबिले-इलज़ाम / आरज़ू लखनवी
- नालाँ ख़ुद अपने दिल से हूँ दरबाँ को क्या कहूँ / आरज़ू लखनवी
- भले दिन आये तो आज़ार बन गया आराम / आरज़ू लखनवी
- क्यों उसकी यह दिलजोई दिल जिसका दुखाना है / आरज़ू लखनवी
- फिर ‘आरज़ू’ को दर से उठा, पहले यह बता / आरज़ू लखनवी
- अलअमाँ मेरे ग़मकदे की शाम / आरज़ू लखनवी