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मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
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मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
जन्म | 1806 |
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निधन | 1869 |
जन्म स्थान | दिल्ली, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
मुस्तफ़ा ख़ान ’शेफ़्ता’ मिर्ज़ा ग़ालिब के गहरे मित्र थे और मेरठ के नवाब थे। | |
जीवन परिचय | |
मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता' / परिचय |
- रोज़ ख़ूँ होते है दो-चार तेरे कूचे में / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- तंग थी जा ख़ामिर-ए-ना-शाद में / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- था गै़र का जो रंज-ए-जुदाई तमाम शब / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- यार को महरूम-ए-तमाशा किया / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- आराम से है कौन जहान-ए-ख़राब में / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- दस्त-ए-अदू से शब जो वो साग़र लिया किए / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- देखूँ तो कहाँ तक वो तलत्तुफ़ नहीं करता / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- दिल लिया जिस ने बेवफ़ाई की / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- गह हम से ख़फ़ा वो हैं गहे उन से ख़फ़ा हम / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- गोर में याद-ए-क़द-ए-यार ने सोने न दिया / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- है बद बला किसी को ग़म-ए-जावेदाँ न हो / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- जब रक़ीबों का सितम याद आया / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- कम-फ़हम हैं तो कम हैं परेशानियों में हम / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- कौन से दिन तेरी याद ऐ बुत-ए-सफ़्फ़ाक नहीं / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- महव हूँ मैं जो उस सितम-गर का / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'
- मर गए हैं जो हिज्र-ए-यार में हम / मुस्तफ़ा ख़ान 'शेफ़्ता'