भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँगन की दीवारों से / नन्दी लाल
Kavita Kosh से
आँगन की दीवारों से
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | नन्दी लाल |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- दुनिया की सब नेमत झूठी लेकिन सच्ची होती माँ / नन्दी लाल
- खूब सिक्का चला आपका / नन्दी लाल
- मौन बैठा किस लिये क्या दोष तेरा है / नन्दी लाल
- लो सुनाने आ गये हैं फिर मियाँ ताजा गज़ल / नन्दी लाल
- आप से मिलकर न जाने क्यों ख्याल आने लगे / नन्दी लाल
- हर तरफ शोर यह कैसा सुनाई देता है / नन्दी लाल
- लोगों की आशाओं के सम्बल का दिन / नन्दी लाल
- गीत नवगीत सब सुनाने लगा / नन्दी लाल
- वो बूढ़ा हो गया चक्कर लगा करके दीवानी के / नन्दी लाल
- फूल सब हँसने लगे हैं हर कली कहने लगी / नन्दी लाल
- टूटकर जुड़ता न शीशा लाख देखा जोड़कर / नन्दी लाल
- बुलाकर आप को छत से ढकेला जा रहा है क्यों / नन्दी लाल
- जानता वह काम सब बाजीगरी का है / नन्दी लाल
- कहाँ पर हो रही किसकी ढिलाई आँख से देखो / नन्दी लाल
- खड़ा जो आदमी लगता है / नन्दी लाल