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गीतावली/ तुलसीदास / पृष्ठ 12
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- रहि चलिये सुंदर रघुनायक। / तुलसीदास
- राम!हौं कौन जतन घर रहिहौं? / तुलसीदास
- रहहु भवन हमरे कहे, कामिनि! / तुलसीदास
- कृपानिधान सुजान प्रानपति, / तुलसीदास
- कहौ तुम्ह बिनु गृह मेरो कौन काजु? / तुलसीदास
- प्रिय निठुर बचन कहे कारन कवन? / तुलसीदास
- मैं तुमसों सतिभाव कही है / तुलसीदास
- मैं तुमसों सतिभाव कही है / तुलसीदास
- जबहि रघुपति सँग सीय चली।/ तुलसीदास
- ठाढ़े हैं लषन कमलकर जोरे।/ तुलसीदास
- मेाकोबिधु बदन बिलोकन दीजै।/ तुलसीदास
- कहौ सो बिपिन हैं धौं केतिक दूरि।/ तुलसीदास
- फिरि फिरि राम सीय तनु हेरत।/ तुलसीदास
- नृपहिं कुँवर राजत मग जात।/ तुलसीदास
- तु देखि देखि री! पथिक परम सुंदर दोऊ/ तुलसीदास
- कुँवर साँवरो री सजनी! / तुलसीदास
- देखु कोऊ परम सुंदर सखि! बटोही।/ तुलसीदास
- सखि नीके कै निरखि/ तुलसीदास
- माई मन के मोहन/ तुलसीदास
- सखि सरद बिमल/ तुलसीदास
- सोहैं साँवरे पथिक, पाछे ललना लोनी/ तुलसीदास
- पथिक गोरे साँवरे सुठि लोने/ तुलसीदास