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आँखें खोलो / विजय किशोर मानव से जुड़े हुए पृष्ठ
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- बगुले चलें यहाँ हंसों की चाल, सुना तुमने / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- गरदनें ख़िदमत में हाज़िर हैं हमारी, लीजिए / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- यही वो पाँव हैं जो आँख खुलते ही निकलते हैं / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- आंधी में भी जिए हैं हमारे शहर में लोग / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- बहुत उदास वज़ीरों में एक मैं भी हूँ / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- एक ओर माँ लेटी एक ओर बाबू जी / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- बौने हुए विराट हमारे गाँव में / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- आना देखा, जाना देखा / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- इतने फंदों में झूलकर भी प्रान हैं बाक़ी / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- अपनी पहचान हो वो शहर चाहिए / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- परनाले की ईंट लगी छत पर देखो / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- मेरी आँखों में झांककर देखें / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- थोड़ा-सा पानी है वह भी सुर्ख़ लाल है / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- अश्क आँखों में रोककर मैंने / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- कहाँ हुए नहीं ग़दर किसी से पूछो तो / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- सारी उम्र नदी के कटते हुए किनारे देखे हैं / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- चेहरे शाह शरीर ग़ुलामों के / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- बाग़ी सारे सवाल कैसे दिन हैं / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)
- आँख खुली घेरती सलाखें हमको मिलीं / विजय किशोर मानव (← कड़ियाँ)