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+ | * [[बारिश में उफनाई नदी के जैसी यौवन की तस्वीर / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी]] | ||
+ | * [[न वो ज़बान की शोखी मेरे बयान में है / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी]] | ||
+ | * [[दिल पे नाज था मगर वो भी न अपना निकला / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी]] | ||
+ | * [[जो रिक्शा धूप और बरसात में दिन भर चलाता / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी]] | ||
+ | * [[गरीबी में बशर एक एक करके बेच देता है / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी]] | ||
+ | * [[कभी हम आग से गुजरे कभी पानी से गुजरे हैं / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी]] | ||
+ | * [[हँसी आने पे चेहरे की उदासी छूट जाती है / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी]] | ||
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12:40, 8 जनवरी 2011 का अवतरण
रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
जन्म | 10 जनवरी 1956 |
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उपनाम | बेख़ुद |
जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
ग़ज़ल संग्रह प्रेस में । | |
विविध | |
आपको नज़्म, गज़ल, दोहा, मनकबत, ह्म्त, गीत, कतआत आदि विधाओं में महारत हासिल है | |
जीवन परिचय | |
रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी / परिचय |
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- हर तरफ़ जाले थे, बिल थे / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- दोस्ती ने छीन ली, कुछ दुश्मनी ने छीन ली / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- यही सबब है जो हल मसअला नही होता / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- ग़म नहीं वो शीशा-ए-दिल को शिकस्ता कर गया / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- उनके जलवे जो तरबनाक हुए जाते हैं / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- बारिश मे उफ़नाई नदी के जैसी यौवन की तस्वीर / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- इसका मतलब ये तो नहीं दीवार उठे अंगनाई में / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- मैं तो बस्ती ढूढ़ रहा था मुझको मिले शमशान / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- किसको खराब शहर में अच्छा किसे कहें / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- ज़ख्म है दिल का ताज़ा देखो / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- तन्हाई में कलम उठा कर हम वो ही सब / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- अपनी अपनी खूबिया और खामिया भी बाट ले / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- अपने हाथ अपना खून चाहती / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- लहकते धान की एक-एक बाली सूख जाती है / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- यहा सच बोलने से फ़ायदा क्या / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- कुछ तेरा चेहरा मुझे लगता है पहचाना हुआ / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- बारिश में उफनाई नदी के जैसी यौवन की तस्वीर / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- न वो ज़बान की शोखी मेरे बयान में है / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- दिल पे नाज था मगर वो भी न अपना निकला / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- जो रिक्शा धूप और बरसात में दिन भर चलाता / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- गरीबी में बशर एक एक करके बेच देता है / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- कभी हम आग से गुजरे कभी पानी से गुजरे हैं / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
- हँसी आने पे चेहरे की उदासी छूट जाती है / रामप्रकाश 'बेखुद' लखनवी
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