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"जयकृष्ण राय तुषार" के अवतरणों में अंतर
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08:30, 25 फ़रवरी 2012 का अवतरण
जयकृष्ण राय 'तुषार'
जन्म | 01 जनवरी 1969 |
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उपनाम | तुषार |
जन्म स्थान | ग्राम-पसिका, पोस्ट - बरदह, जिला आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
जयकृष्ण राय तुषार / परिचय |
ग़ज़लें <sort order="asc" class="ul">
- हम तो मिट्टी के खिलौने थे गरीबों में रहे / जयकृष्ण राय तुषार
- मैं सूफ़ी हूँ दिलों के दरमियाँ ही प्यार करता हूँ / जयकृष्ण राय तुषार
- कोई भी रंग मेंहदी का हथेली पर नहीं होता / जयकृष्ण राय तुषार
- वो एक खत है / जयकृष्ण राय तुषार
- सुहाना हो भले मौसम मगर अच्छा नहीं लगता / जयकृष्ण राय तुषार
- हरेक बागे अदब में बहार है हिन्दी / जयकृष्ण राय तुषार
- वो तुमको रोशनी देगा ये तुमको चांदनी देगी / जयकृष्ण राय तुषार
- बिके प्यादों से हम सरकार का बहुमत जुटाते हैं / जयकृष्ण राय तुषार
- मुल्क मेरा इन दिनों शहरीकरण की ओर है / जयकृष्ण राय तुषार
- ऐ दोस्त गले मिल तो हरेक बात का हल हो / जयकृष्ण राय तुषार
- कभी मूरत से कभी सूरत से हमको प्यार होता है / जयकृष्ण राय तुषार
- छत बचा लेता है मेरी ,वही पाया बनकर / जयकृष्ण राय तुषार
- वही उड़ान का का असली हुनर दिखाते हैं / जयकृष्ण राय तुषार
- किताबों में दबे फूलों का मुरझाना लिखा जाए / जयकृष्ण राय तुषार
- सियासत में अगर थोड़ा बहुत ईमान हो जाये / जयकृष्ण राय तुषार
</sort> गीत / नवगीत <sort order="asc" class="ul">
- माँ तुम गंगाजल होती हो / जयकृष्ण राय तुषार
- तुम्हें देखा और गुलदस्ते हुए / जयकृष्ण राय तुषार
- लोग हुए बेताल से / जयकृष्ण राय तुषार
- शहनाई गूंज रही / जयकृष्ण राय तुषार
- हो गया मुश्किल शहर में डाकिया दिखना / जयकृष्ण राय तुषार
- गाल गुलाबी हुए धूप के / जयकृष्ण राय तुषार
- फिर इन्हीं मेरून होठों में / जयकृष्ण राय तुषार
- अक्षरों में खिले फूलों सी / जयकृष्ण राय तुषार
- हम भारत के लोग / जयकृष्ण राय तुषार
- अबकी होली में / जयकृष्ण राय तुषार
- अच्छा मौसम आने वाला है / जयकृष्ण राय तुषार
- देखकर तुमको फिरोजी दिन हुए / जयकृष्ण राय तुषार
- सुलगते सवाल कई छोड़ गया मौसम / जयकृष्ण राय तुषार
- कब लौटोगी कथा सुनाने / जयकृष्ण राय तुषार
- सूरज कल भोर में जगाना / जयकृष्ण राय तुषार
- इस सुनहरी धूप में / जयकृष्ण राय तुषार
- तेरी क्या तस्वीर लिखूँ ?/ जयकृष्ण राय तुषार
- उम्मीदों पर खरा न उतरा / जयकृष्ण राय तुषार
- ओ मेरे दिनमान निकलना !/ जयकृष्ण राय तुषार
- यह सब कैसे हो जाता है ?/ जयकृष्ण राय तुषार
- अबकी शाखों पर बसन्त तुम / जयकृष्ण राय तुषार
- जब तक न प्रलय हो धरती पर / जयकृष्ण राय तुषार
- हो गया अपना इलाहाबाद, पेरिस,अबू धाबी/जय कृष्ण राय तुषार
- खुली किताबों में/जय कृष्ण राय तुषार
- प्रकृति का हर रंग माँ पहचानती है /जय कृष्ण राय तुषार
- राजा को टकसाल चाहिए /जय कृष्ण राय तुषार
- किसको मंगल गीत सुनाएँ/जय कृष्ण राय तुषार
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