भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चराग़े-दिल / देवी नांगरानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 36: पंक्ति 36:
 
* [[कोई और था फिर भी / देवी नागरानी]]
 
* [[कोई और था फिर भी / देवी नागरानी]]
 
* [[गर्दिशों ने बहुत सताया है / देवी नागरानी]]
 
* [[गर्दिशों ने बहुत सताया है / देवी नागरानी]]
दर्द बनकर समा गया दिल में
+
* [[दर्द बनकर समा गया दिल में / देवी नागरानी]]
छीन ली मुझसे मौसम ने आज़ादियाँ
+
* [[छीन ली मुझसे मौसम ने आज़ादियाँ / देवी नागरानी]]
चराग़ों ने अपने ही घर को जलाया
+
* [[चराग़ों ने अपने ही घर को जलाया / देवी नांगरानी]]
सिसकियों में हों पल रहे जैसे
+
* [[सिसकियों में हों पल रहे जैसे / देवी नागरानी]]
तुझको अपना खुदा बनाया है
+
* [[तुझको अपना खुदा बनाया है / देवी नागरानी]]
 +
* [[हम दिलों में निवास करते हैं / देवी नागरानी]]
 +
* [[उदासी में डूब जाता है / देवी नागरानी]]
 +
* [[ग़म का पैग़ाम बादे-सबा दे गई / देवी नागरानी]]
 +
* [[चोट ताज़ा कभी जो खाते हैं / देवी नांगरानी]]
 +
* [[याद मुझे है अब तक / देवी नागरानी]]

19:17, 18 जून 2008 का अवतरण


चराग़े-दिल
रचनाकार देवी नांगरानी
प्रकाशक
वर्ष
भाषा हिन्दी
विषय
विधा
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।