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+ | * [[मैं सुपुर्दे-ख़ुदफ़रामोशी हूँ तू महवे-ख़ुदी / सीमाब अकबराबादी]] | ||
+ | * [[खुदा से हश्र में काफ़िर! तेरी फ़रियाद क्या करते? / सीमाब अकबराबादी]] | ||
+ | * [[कुछ हाथ उठा के मांग न कुछ हाथ उठा के देख / सीमाब अकबराबादी]] | ||
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16:07, 29 जुलाई 2009 का अवतरण
आशिक हुसैन
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जन्म | 1880 |
---|---|
निधन | 31 जनवरी, 1951 (कराची) |
उपनाम | सीमाब अकबराबादी |
जन्म स्थान | आगरा |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
साज़-ओ-अहांग, सरोद-ए-ग़म, नफ़ीर-ए-ग़म, कीर-ए-इम्रोज़ तथा शीबा-ए-कोहन | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
सीमाब अकबराबादी / परिचय |
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- नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी / सीमाब अकबराबादी
- ये क्या जाने में जाना है / सीमाब अकबराबादी
- शब-ए-ग़म ऐ मेरे अल्लाह बसर भी होगी / सीमाब अकबराबादी
- नामा गया कोई न कोई नामाबर गया / सीमाब अकबराबादी
- तेरे क़दमों पे सर होगा क़ज़ा सर पे खड़ी होगी / सीमाब अकबराबादी
- न हो गर आशना नहीं होता / सीमाब अकबराबादी
- जन्नत जो मिले ला के मैख़ाने में रख देना / सीमाब अकबराबादी
- मुझसे मिलने के वो करता था बहाने कितने / सीमाब अकबराबादी
- ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे / सीमाब अकबराबादी
- बक़द्र-ए-शौक़ इक़रार-ए-वफ़ा क्या / सीमाब अकबराबादी
- अब क्या बताऊँ मैं तेरे मिलने से क्या मिला / सीमाब अकबराबादी
- दुआ / सीमाब अकबराबादी
- वतन / सीमाब अकबराबादी
- दिल की बिसात क्या थी / सीमाब अकबराबादी
- चमक जुगनू की बर्क-ए-अमां मालूम होती है / सीमाब अकबराबादी
- जंगी तराना / सीमाब अकबराबादी
- दावते इन्क़लाब / सीमाब अकबराबादी
- जवानाने-वतन / सीमाब अकबराबादी
- ख़्वाब आश्नायेजमूद से / सीमाब अकबराबादी
- ग़द्दारे-क़ौम और वतन / सीमाब अकबराबादी
- मज़दूर / सीमाब अकबराबादी
- शायरे-इमरोज़ / सीमाब अकबराबादी
- हिन्दोस्तानी माँ का पैग़ाम / सीमाब अकबराबादी
- जो ज़ौके़-इश्क़ दुनिया में न हिम्मत आज़मा होता / सीमाब अकबराबादी
- रहेगा मुब्तलाये-कश-म-कश इन्साँ यहाँ कब तक / सीमाब अकबराबादी
- परिस्तारेमुहब्बत की मुहब्बत ही शरीअ़त है / सीमाब अकबराबादी
- मुक़ाम इक इन्तहाये-इश्क़ में ऐसा भी आता है /सीमाब अकबराबादी
- ज़बाँबन्दी से खुश हो, खुश रहो, लेकिन यह सुन रक्खो / सीमाब अकबराबादी
- लफ़्ज़ों के परिस्तार ख़बर ही तुझे क्या है / सीमाब अकबराबादी
- यूँ उठा करती है सावन की घटा / सीमाब अकबराबादी
- ख़राब होती न यूँ ख़ाके-शमा-ओ-परवाना / सीमाब अकबराबादी
- गुनाहों पर वही इन्सान को मजबूर करती है / सीमाब अकबराबादी
- मैं सुपुर्दे-ख़ुदफ़रामोशी हूँ तू महवे-ख़ुदी / सीमाब अकबराबादी
- खुदा से हश्र में काफ़िर! तेरी फ़रियाद क्या करते? / सीमाब अकबराबादी
- कुछ हाथ उठा के मांग न कुछ हाथ उठा के देख / सीमाब अकबराबादी
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