"मधुभूषण शर्मा 'मधुर'" के अवतरणों में अंतर
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[[पढ़ेगी जब तलक दुनिया लिखा दीवान ग़ालिब का / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ]] | [[पढ़ेगी जब तलक दुनिया लिखा दीवान ग़ालिब का / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ]] |
12:35, 4 जून 2010 का अवतरण
जन्म | 01 अप्रैल 1952 |
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जन्म स्थान | पंजाब |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
मधुभूषण शर्मा 'मधुर' / परिचय |
<sort order="asc" class="ul"> नहीं वाद कोई यहां निर्विवादित / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' हसीन ख़ुद को शाम से जवां सहर से देखिए / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' देख अपनी बदनसीबी दिल यूं धड़कता यारो/ मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ले हाथों में अपने जो हल लिख रहा है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ख़फ़ा जिनसे अक्सर चमनज़ार होंगे / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' यहां सात पर्दों में हर शै छुपी है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' बुना हुआ फ़रेब का न कोई जाल फेंकिए / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' पढ़ेगी जब तलक दुनिया लिखा दीवान ग़ालिब का / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' जिस ज़मीं से तू जुड़ा है बस उसी की बात कर / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' इक बार क्या मिले हैं किसी रोशनी से हम / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ख़ता है वफ़ा तो सज़ा दीजिए / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' सियासत की जो भी ज़बाँ जानता है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' मेरे सनम के पास जो कहां वो ताज़गी मिले / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ज़ेहन में रहे इक अजब खलबली सी / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' वहशतों की है अगर कुछ कातिलों से दोस्ती / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' न बस में किसी के ये हालात होंगे / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' वही रोज़ मिलना वही चार बातें / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' आग-सी इक बुझाने लगा हूं / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' ख़ुदा इस शहर को ये क्या हो चला है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' अगर आदमी ख़ुद से हारा न होता / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' जब से हम लोग ज़मीं पे हैं / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' पत्थरों में भी बनाता राह पानी देखिए / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' मुख़ातिब बस ग़मे-दिल हो तो ऐसा हो भी सकता है / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' बुझा दो चिराग़े-मुहब्बत मुझे इन फ़रेबी उजालों की क्या है ज़रूरत , / मधुभूषण शर्मा 'मधुर' </sort>