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ज़िन्दगी ख़ामोश कहाँ / मोहम्मद इरशाद
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ज़िन्दगी ख़ामोश कहाँ
रचनाकार | मोहम्मद इरशाद |
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प्रकाशक | |
वर्ष | 2010 |
भाषा | हिन्दी-उर्दू |
विषय | ग़ज़ल |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
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- जीने का हुनर / मोहम्मद इरशाद
- रोज़ो शब का मुआमला क्या है / मोहम्मद इरशाद
- दुनिया में यूँ भी हमने गुज़ारी है ज़िन्दगी / मोहम्मद इरशाद
- रोतों का तुम हँसाओगे अच्छा ख़याल है / मोहम्मद इरशाद
- आप भी मेरी तरह हर ग़म में मुस्कराइये / मोहम्मद इरशाद
- तीरगी अब तो हमें रोशनी सी लगती है / मोहम्मद इरशाद
- थोड़ी सी बेवफाई करली है ज़िन्दगी से / मोहम्मद इरशाद
- सच बोलो मुलाकात हुई क्या / मोहम्मद इरशाद
- तोड़ा है दिल किसने तुम्हारा बता देते / मोहम्मद इरशाद
- तन्हा शुरू किया था जो सफर कैसा है / मोहम्मद इरशाद
- मेरे लिए तू ख़ुद को यूँ ख़ुद से जुदा न कर / मोहम्मद इरशाद
- रखते है इत्तिफाक जब / मोहम्मद इरशाद
- हर पल की तुम बात न पूछो / मोहम्मद इरशाद
- हम ने तो सब के वास्ते / मोहम्मद इरशाद
- अब जा के जिन्दगी को समझने लगा हूँ मैं / मोहम्मद इरशाद
- वक्त के दरिया में बहता जा रहा है आदमी / मोहम्मद इरशाद
- मुझको जीने का इक वो हुनर दे गया / मोहम्मद इरशाद
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- मैं उनके एतबार के काबिल नहीं रहा / मोहम्मद इरशाद
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- दिल से अपने गम जमाने का लगाए बैठे हैं / मोहम्मद इरशाद
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- हम से वो पूछते हैं कि क्या है ये ज़िन्दगी / मोहम्मद इरशाद
- गैर भी समझो तो हर गम की दवा करते हैं / मोहम्मद इरशाद
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- पत्थर हैं लोग सब यहाँ जज़्बात कुछ नहीं / मोहम्मद इरशाद
- / मोहम्मद इरशाद
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