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कुँअर बेचैन
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कुँअर बेचैन
जन्म | 01 जुलाई 1942 |
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उपनाम | बेचैन |
जन्म स्थान | ग्राम उमरी, जिला मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
गीत-संग्रह: पिन बहुत सारे (1972), भीतर साँकलः बाहर साँकल (1978), उर्वशी हो तुम (1987), झुलसो मत मोरपंख (1990), एक दीप चौमुखी (1997), नदी पसीने की (2005), दिन दिवंगत हुए (2005), ग़ज़ल-संग्रह: शामियाने काँच के (1983), महावर इंतज़ारों का (1983), रस्सियाँ पानी की (1987), पत्थर की बाँसुरी (1990), दीवारों पर दस्तक (1991), नाव बनता हुआ काग़ज़ (1991), आग पर कंदील (1993), आँधियों में पेड़ (1997), आठ सुरों की बाँसुरी (1997), आँगन की अलगनी (1997), तो सुबह हो (2000), कोई आवाज़ देता है (2005); कविता-संग्रह: नदी तुम रुक क्यों गई (1997), शब्दः एक लालटेन (1997); पाँचाली (महाकाव्य) | |
विविध | |
आपका मूल नाम कुँअर बहादुर सक्सेना है। | |
जीवन परिचय | |
कुँअर बेचैन / परिचय |
कविता संग्रह
- पिन बहुत सारे / कुँअर बेचैन (1972)
- भीतर साँकल: बाहर साँकल / कुँअर बेचैन (1978)
- शामियाने काँच के / कुँअर बेचैन (1983)
- महावर इंतज़ारों का / कुँअर बेचैन (1983)
- रस्सियाँ पानी की / कुँअर बेचैन (1987)
- उर्वशी हो तुम / कुँअर बेचैन (1987)
- झुलसो मत मोरपंख / कुँअर बेचैन (1990)
- पत्थर की बाँसुरी / कुँअर बेचैन (1990)
- दीवारों पर दस्तक / कुँअर बेचैन (1991)
- नाव बनता हुआ काग़ज़ / कुँअर बेचैन (1991)
- आग पर कंदील / कुँअर बेचैन (1993)
- एक दीप चौमुखी / कुँअर बेचैन (1997)
- आँधियों में पेड़ / कुँअर बेचैन (1997)
- आठ सुरों की बाँसुरी / कुँअर बेचैन (1997)
- आँगन की अलगनी / कुँअर बेचैन (1997)
- नदी तुम रुक क्यों गई / कुँअर बेचैन (1997)
- शब्द: एक लालटेन / कुँअर बेचैन (1997)
- तो सुबह हो / कुँअर बेचैन (2000)
- कोई आवाज़ देता है / कुँअर बेचैन (2005)
- नदी पसीने की / कुँअर बेचैन (2005)
- दिन दिवंगत हुए / कुँअर बेचैन (2005)
- डॉ० कुंवर बैचेन के नवगीत / कुँअर बेचैन
- पांचाली / कुँअर बेचैन
कुछ हाइकु
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- लौट आ रे / कुँअर बेचैन
- प्यासे होंठों से / कुँअर बेचैन
- जिस मृग पर कस्तूरी है / कुँअर बेचैन
- सोख न लेना पानी / कुँअर बेचैन
- दो दिलों के दरमियाँ / कुँअर बेचैन
- वर्ना रो पड़ोगे ! / कुँअर बेचैन
- चल हवा / कुँअर बेचैन
- दो चार बार हम जो कभी / कुँअर बेचैन
- उँगलियाँ थाम के खुद / कुँअर बेचैन
- शाख़ पर एक फूल भी है / कुँअर बेचैन
- बेटियाँ / कुँअर बेचैन
- ज़िन्दगी यूँ ही चली / कुँअर बेचैन
- कोई रस्ता है न मंज़िल / कुँअर बेचैन
- ढूँढे़ नया मकान / कुँअर बेचैन
- मध्मवर्गीय पत्नी से / कुँअर बेचैन
- अगर हम अपने दिल को / कुँअर बेचैन
- सबकी बात न माना कर / कुँअर बेचैन
- आदमी / कुँअर बेचैन
- ज़िन्दगी / कुँअर बेचैन
- तू फूल की रस्सी न बुन / कुँअर बेचैन
- तुम्हारे हाथ से टंक कर / कुँअर बेचैन
- जिसे बनाया वृद्ध पिता के श्रमजल ने / कुँअर बेचैन
- पिन बहुत सारे (कविता) / कुँअर बेचैन
- रात कहाँ बीते / कुँअर बेचैन
- बीजगणित-सी शाम / कुँअर बेचैन
- दिन से लंबा ख़ालीपन / कुँअर बेचैन
- अँधेरी खाइयों के बीच / कुँअर बेचैन
- पेड़ बबूलों के / कुँअर बेचैन
- सुबह / कुँअर बेचैन
- शाम / कुँअर बेचैन
- गोरी धूप चढ़ी / कुँअर बेचैन
- वर्षा-दिनः एक आफि़स / कुँअर बेचैन
- मैले दर्पण दोष दे / कुँअर बेचैन
- अंतर / कुँअर बेचैन
- रिश्तों को घर दिखलाओ / कुँअर बेचैन
- आँगन की अल्पना सँभालिए / कुँअर बेचैन
- जिस रोज़ पछवा चली / कुँअर बेचैन
- चेतना उपेक्षित है / कुँअर बेचैन
- मन रीझ न यों / कुँअर बेचैन
- लोहे ने कब कहा / कुँअर बेचैन
- तुम्हारे हाथ में टँककर / कुँअर बेचैन
- चिट्ठी है किसी दुखी मन की / कुँअर बेचैन
- शोकपत्र के ऊपर / कुँअर बेचैन
- हम सुपारी-से / कुँअर बेचैन
- सर्दियाँ (१) / कुँअर बेचैन
- सर्दियाँ (३) / कुँअर बेचैन
- घर / कुँअर बेचैन
- माँ / कुँअर बेचैन
- पिता / कुँअर बेचैन
- पत्नी / कुँअर बेचैन
- पुत्र, तुम उज्ज्वल भविष्यत् फल / कुँअर बेचैन
- बंधु / कुँअर बेचैन
- मछली का यह कथन / कुँअर बेचैन
- पंछियों को फिर कहाँ पर ठौर है / कुँअर बेचैन
- चीज़ें बोलती हैं। / कुँअर बेचैन
- करो हमको न शर्मिंदा / कुँअर बेचैन
- बंद होंठों में छुपा लो / कुँअर बेचैन
- अधर-अधर को ढूँढ रही है / कुँअर बेचैन
- क्षितिज की अलगनी पर / कुँअर बेचैन
- ओ वासंती पवन हमारे घर आना / कुँअर बेचैन
- और बात है / कुँअर बेचैन
- भरी हुई है प्रीत से / कुँअर बेचैन
- उतनी दूर पिया तू मेरे गाँव से / कुँअर बेचैन
- चल ततइया ! / कुँअर बेचैन
- कुछ काले कोट / कुँअर बेचैन
- गुलाब हम,गुलाब तुम / कुँअर बेचैन
- दोनों ही पक्ष आए हैं / कुँअर बेचैन
- अंतर / कुँअर बेचैन
- समय की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए / कुँवर बेचैन
- चढ़ो अटारी धीरे धीरे / कुँवर बेचैन
- ओढ़े हुए लिहाफ़ दिसम्बर / कुँवर बेचैन
ग़ज़लें
- ये लफ्ज़ आईने हैं मत इन्हें उछाल के चल/ कुँअर बेचैन
- अब आग के लिबास को / कुँअर बेचैन
- चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया / कुँअर बेचैन
- मौत तो आनी है तो फिर मौत का क्यों डर रखूँ / कुँअर बेचैन
- अपनी सियाह पीठ छुपाता है आईना / कुँअर बेचैन
- बड़ा उदास सफ़र है हमारे साथ रहो / कुँअर बेचैन
- दिलों में नफ़रतें हैं अब, मुहब्बतों का क्या हुआ / कुँअर बेचैन
- फूल को ख़ार बनाने पे तुली है दुनिया / कुँअर बेचैन
- हम कहाँ रुस्वा हुए रुसवाइयों को क्या ख़बर / कुँअर बेचैन
- हम बहुत रोए किसी त्यौहार से रहकर अलग / कुँअर बेचैन
- गलियों गलियों सिर्फ़ घुटन है बंजारा दम तोड़ न दे / कुँअर बेचैन
- उँगलियाँ थाम के खुद चलना सिखाया था जिसे / कुँअर बेचैन
- शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम / कुँअर बेचैन
- वही मैंने किया जो दिल में ठाना / कुँअर बेचैन
- कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई / कुँअर बेचैन
- हो के मायूस न यूं शाम-से ढलते रहिये / कुँअर बेचैन
- जितने भी मयखाने हैं / कुँअर बेचैन
- ख़ुशी में खुश हुए, तो ग़म में घबराना ही पड़ता है / कुँअर बेचैन
- गगन में जब अपना सितारा न देखा / कुँअर बेचैन
- राहों से जितने प्यार से, मंज़िल ने बात की / कुँअर बेचैन
- मैं देह का पर्दा हूँ, मैं खुद को हटा लूं क्या / कुँअर बेचैन
- घिरा रहता हूँ मैं भी आजकल अनगिन विचारों में / कुँअर बेचैन
- सुनो अब यूँ ही चलने दो, न कोई शर्त बांधो / कुँअर बेचैन
- वो दिन हमको कितने सुहाने लगेंगे / कुँअर बेचैन
- अगर हम अपने दिल को अपना इक चाकर बना लेते / कुँअर बेचैन
- ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक / कुँअर बेचैन
- मैं दिल हूँ और इस दिल का पता आपकी आँखें / कुँवर बेचैन
- एक तेरे नाम की ही पुस्तकें पढ़ते रहे / कुँवर बेचैन
- प्यासे होठों से जब कोई झील न बोली बाबू जी / कुँवर बेचैन
- फूल से लिपटी हुई ये तितलियाँ अच्छी लगीं / कुँवर बेचैन
- जिस रात पूर्णिमा में नहा लेगी चांदनी / कुँवर बेचैन
- सच्चा फ़क़ीर आज तक बूढ़ा नहीं हुआ / कुँवर बेचैन
- औरों के भी ग़म में ज़रा रो लूँ तो सुबह हो / कुँवर बेचैन
- आँखों में भर के प्यार का पानी ग़ज़ल कही / कुँवर बेचैन
- आँखें हूँ अगर मैं, तो मेरा तू ही ख़्वाब है / कुँवर बेचैन
- कभी चलता हुआ चंदा कभी तारा बताता है / कुँवर बेचैन
- जो डर जाते हैं डर जाने से पहले / कुँवर बेचैन
- तेरी हर बात चलकर यूँ भी मेरे जी से आती है /कुँवर बेचैन
- सारा जग तुझको कहे, है मो'तबर काफ़ी नही / कुँवर बेचैन
- देखते ही देखते पहलू बदल जाती है क्यूँ / कुँवर बेचैन