भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राज़िक़ अंसारी
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:47, 2 जुलाई 2018 का अवतरण
राज़िक़ अंसारी
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | |
---|---|
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
राज़िक़ अंसारी / परिचय |
ग़ज़लें
- हमारे मिलने का एक रस्ता बचा हुआ है / राज़िक़ अंसारी
- दिखाए वक़्त ने पथराव इतने / राज़िक़ अंसारी
- प्यास बिखरी हुई है बस्ती में / राज़िक़ अंसारी
- हमारा मक़सद अगर सफ़र है तवील करना / राज़िक़ अंसारी
- इधर उधर जो चराग़ टूटे पड़े हुए हैं / राज़िक़ अंसारी
- मुझ से कहता है जिस्म हारा हुआ / राज़िक़ अंसारी
- बात जब मेरी निकाली गई है / राज़िक़ अंसारी
- आतिशे ग़म से गुज़रता रोज़ हूँ / राज़िक़ अंसारी
- मेरी तन्हाई मेरा जुनूं और मैं / राज़िक़ अंसारी
- इमारत एक आलीशान है दिल / राज़िक़ अंसारी
- मैं जब रिश्तों को लड़ते देखता हूं / राज़िक़ अंसारी
- चलो चल कर वहीं पर बैठते हैं / राज़िक़ अंसारी
- दिल की रंगीनियों से वाक़िफ़ हैं / राज़िक़ अंसारी
- बतलाते हैं सारे मंज़र ख़ुश हैं सब / राज़िक़ अंसारी
- आंसू अपनी चश्मे तर से निकलें तो/ राज़िक़ अंसारी
- हमारा सर जो होता ख़म कहीं पर / राज़िक़ अंसारी
- अभी में लौटा हूँ अपने भाई को दफ़्न कर के / राज़िक़ अंसारी
- यादों ने क्या ज़ुल्म किए दिल जानता है / राज़िक़ अंसारी
- रोज़ कहता है मुझे चल दश्त में / राज़िक़ अंसारी
- लोग करने लगे जवाब तलब / राज़िक़ अंसारी
- खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से / राज़िक़ अंसारी
- आज कुछ फ़रमान है कल और कुछ / राज़िक़ अंसारी
- जो रिश्तों के बीच में डर फैलाते हैं / राज़िक़ अंसारी
- कर चुके हम फ़ैसला अब कुछ भी हो / राज़िक़ अंसारी
- दिले-बीमार को सब देखने आए / राज़िक़ अंसारी
- हमारे दिल में रह कर थक न जाएं / राज़िक़ अंसारी
- / राज़िक़ अंसारी