अहमद फ़राज़
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जन्म | 14 जनवरी 1931 |
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निधन | 25 अगस्त 2008 |
उपनाम | फ़राज़ |
जन्म स्थान | नौशेरा, पाकिस्तान |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
ख़ानाबदोश,, ये मेरी ग़ज़लें वे मेरी नज़्में, | |
विविध | |
अहमद फ़राज़ का मूल नाम सैयद अहमद शाह है। आप आधुनिक युग के उर्दू के सबसे उम्दा शायरों में गिने जाते हैं। | |
जीवन परिचय | |
अहमद फ़राज़ / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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- ख़ानाबदोश / फ़राज़ (ग़ज़ल संग्रह)
- दर्द आशोब / फ़राज़ (ग़ज़ल व नज़्म संग्रह)
- ये मेरी ग़ज़लें वे मेरी नज़्में / फ़राज़ (ग़ज़ल संग्रह)
- ज़िंदगी ! ऐ ज़िंदगी ! / फ़राज़ (ग़ज़ल संग्रह)
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- सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते-जाते / फ़राज़
- अब्रे-बहार अबके भी बरसा परे-परे / फ़राज़
- वो तो सब दर्द के लम्हे थे / फ़राज़
- न इंतज़ार की लज़्ज़त न आरज़ू की थकन / फ़राज़
- फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूँ भी नहीं / फ़राज़
- जानाँ दिल का शहर नगर अफ़सोस का है / फ़राज़
- अजब जूनून-ए-मुसाफ़त में घर से निकला था / फ़राज़
- हाथ उठाए हैं मगर लब पे दुआ कोई नहीं / फ़राज़
- किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे / फ़राज़
- मैं तो मकतल में भी / फ़राज़
- गुज़र गए कई मौसम कई रुतें बदलीं / फ़राज़
- जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना / फ़राज़
- अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और / फ़राज़
- उसको जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ / फ़राज़
- रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए / फ़राज़
- ख़ामोश हो क्यों दादे-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते / फ़राज़
- क्यूँ तबीअत कहीं ठहरती नहीं / फ़राज़
- कुछ शेर / फ़राज़
- दिल को अब यूँ तेरी हर एक अदा लगती है / फ़राज़
- तू कि अन्जान है इस शहर के आदाब समझ / फ़राज़
- ख़ुदकुशी / फ़राज़
- जब तेरी याद के जुगनू चमके / फ़राज़
- इस से पहले कि बेवफ़ा हो जाएँ / फ़राज़
- रोज़ की मसाफ़त से चूर हो गये दरिया / फ़राज़
- भले दिनों की बात थी / फ़राज़
- क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे / फ़राज़
- यही कहा था मेरे हाथ में है आईना / फ़राज़
- आँख से दूर न हो / फ़राज़
- अब के रुत बदली तो ख़ुशबू का सफ़र देखेगा कौन / फ़राज़
- अब के तज्दीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ / फ़राज़
- कुछ शेर / फ़राज़
- अब नये साल की मोहलत नहीं मिलने वाली / फ़राज़
- ऐसे चुप हैं के ये मंज़िल भी कड़ी हो जैसे / फ़राज़
- बदन में आग सी चेहरा गुलाब जैसा है / फ़राज़
- बरसों के बाद देखा इक शख़्स दिलरुबा सा / फ़राज़
- बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये / फ़राज़
- छेड़े मैनें कभी लब-ओ-रुख़सार के क़िस्से / फ़राज़
- दिल भी बुझा हो, शाम की परछाईयाँ भी हों / फ़राज़
- दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला / फ़राज़
- दुख फ़साना नहीं के तुझ से कहें / फ़राज़
- फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूँ भी नहीं / फ़राज़
- गिले फ़िज़ूल थे अहद-ए-वफ़ा के होते हुये / फ़राज़
- हाथ उठे हैं मगर लब पे दुआ कोई नहीं / फ़राज़
- हर तमाशाई फ़क़त साहिल से मंज़र देखता / फ़राज़
- हवा के ज़ोर से पिंदार-ए-बाम-ओ-दार भी गया / फ़राज़
- हुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तू / फ़राज़
- इन्हीं ख़ुश-गुमानियों में कहीं जाँ से भी न जाओ / फ़राज़
- इस दौर-ए-बेजुनूँ की कहानी कोई लिखो / फ़राज़
- इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की / फ़राज़
- जिस सिम्त भी देखूँ नज़र आता है के तुम हो / फ़राज़
- जुज़ तेरे कोई भी दिन रात न जाने मेरे / फ़राज़
- कहा था किस ने के अह्द-ए-वफ़ा करो उससे / फ़राज़
- करूँ न याद अगर किस तरह भुलाऊँ उसे / फ़राज़
- कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो / फ़राज़
- वही है जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है / फ़राज़
- ख़्वाब / फ़राज़
- हमदर्द / फ़राज़
- शिकस्त / फ़राज़
- ख़्वाब मरते नहीं / फ़राज़
- कुछ न किसी से बोलेंगे / फ़राज़
- क्या रुख़्सत-ए-यार की घड़ी थी / फ़राज़
- मैं तो आवारा शायर हूँ मेरी क्या वक़'अत / फ़राज़
- वो तफ़व्वुतें हैं मेरे खुदा कि ये तू नहीं कोई और है / फ़राज़
- पयाम आये हैं उस यार-ए-बेवफ़ा के मुझे / फ़राज़
- पेच रखते हो बहुत साज-ओ-दस्तार के बीच / फ़राज़
- फिर उसी राहगुज़र पर शायद / फ़राज़
- साक़िया एक नज़र जाम से पहले-पहले / फ़राज़
- सब लोग लिये संग-ए-मलामत निकल आये / फ़राज़
- सकूत-ए-शाम-ए-ख़िज़ाँ है क़रीब आ जाओ / फ़राज़
- शोला था जल-बुझा हूँ, हवायें मुझे न दो / फ़राज़
- सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं / फ़राज़
- तड़प उठूँ भी तो ज़ालिम तेरी दुहाई न दूँ / फ़राज़
- तेरे होते हुये महफ़िल में जलते हैं चिराग़ / फ़राज़
- तेरी बातें ही सुनाने आये / फ़राज़
- तुम भी ख़फ़ा हो लोग भी बरहम हैं दोस्तों / फ़राज़
- तू पास भी हो तो दिल बेक़रार अपना है / फ़राज़
- उसको जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ / फ़राज़
- उसने कहा सुन / फ़राज़
- उसने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया / फ़राज़
- वफ़ा के भेस में कोई रक़ीब-ए-शहर भी है / फ़राज़
- वफ़ा के ख़्वाब मुहब्बत का असर ले जा / फ़राज़
- वहशत-ए-दिल सिला-ए-आबलापाई ले ले / फ़राज़
- ये आलम शौक़ का देखा न जाये / फ़राज़
- ये क्या के सब से बयाँ दिल की हालतें करनी / फ़राज़
- वो ठहरता क्या कि गुज़रा तक नहीं जिसके लिए / फ़राज़
- ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे / फ़राज़
- क्या ऐसे कम-सुख़न से कोई गुफ़्तगू करे / फ़राज़
- तुझसे बिछड़ के हम भी मुकद्दर के हो गये / फ़राज़
- जो भी दुख याद न था याद आया / फ़राज़
- तुझ पर भी न हो गुमान मेरा / फ़राज़
- इज़्हार / फ़राज़
- सवाल / फ़राज़
- ख़ुदग़रज़ / फ़राज़
- तिर्याक़ / फ़राज़
- कोई भटकता बादल / फ़राज़
- अल्मिया / फ़राज़
- तम्सील/ फ़राज़
- नींद / फ़राज़
- ख़ुशबू का सफ़र / फ़राज़
- अब के बरस भी / फ़राज़
- मैं और तू / फ़राज़
- किताबों मे मेरे फ़साने ढूँढते हैं / फ़राज़
- हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे / फ़राज़
- मुत्तफ़ावतें हैं मेरे ख़ुदा कि ये तू नहीं कोई और है / फ़राज़
- नज़्म - ऐ मेरे वतन के लोगों, अब मेरे दुसरे बाजू पे वो शमशीर है / फ़राज़
- तुझसे मिलने को कभी हम जो मचल जाते / फ़राज़
- उसका अपना ही करिश्मा है फ़सूँ है यूँ है / फ़राज़
- निभाता कौन है क़ौल-ओ-क़सम तुम जानते थे / फ़राज़
- क़ुर्बत भी नहीं दिल से उतर भी नहीं जाता / फ़राज़
- ये जो सर गुज़िश्ता से फिरते हैं किताबों वाले/ फ़राज़
- तुम अपने ख़त में यूँ लफ़्ज़ों का सिलसिला रखना / फ़राज़
- जाने क्यूँ शिक़स्त का अज़ाब लिये फिरता हूँ / फ़राज़
- ग़म-ए-हयात का झगडा मिटा रहा है कोई / फ़राज़
- नहीं जो दिल में जगह तो नज़र में रहने दे / फ़राज़
- कहानियाँ न सुनो आसपास लोगों की / फ़राज़
- कुछ उनकी वफ़ाओं ने लुटा कुछ उनकी इनायत मार गई / फ़राज़
- वो मुहब्बत का ख़ुदा है मुझे मालूम ना था / फ़राज़
- वो आ गये तो क़लाब की तालीफ़ हो गई / फ़राज़
- फिरा हूँ सारे ज़माने में दर-ब-दर कैसा / फ़राज़
- पेश-ए-जानाँ सुख़न आशुफ़्तसरी है ख़ामोश / फ़राज़
- कुछ अंधेरा भी ज़रुरी है ग़म-ए-यार के साथ / फ़राज़
- तुमको आता ही नहीं शिकवा शिकायत करना / फ़राज़
- उनके अंदाज़-ए-करम उनपे वो आना दिल का / फ़राज़
- मैं मर मिटा तो वो समझा ये इंत्तेहा थी मेरी / फ़राज़
- कभी मोम बनके पिघल गया कभी गिरते गिरते सम्भल गया / फ़राज़
- चलो इश्क़ नहीं चाहने की आदत है / फ़राज़
- जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है / फ़राज़
- साथ रोती थी मेरे साथ हंसा करती थी / फ़राज़
- थक गया है मुसलसल सफ़र उदासी का / फ़राज़
- गुज़रे हुए तवील ज़माने के बाद भी / फ़राज़
- जो रंजिशें थी जो दिल में गुबार था ना गया / फ़राज़
- ज़िन्दगी यूँ थी कि जीने का बहाना तू था / फ़राज़
- ग़ज़ल सुन के परेशां हो गए क्या / फ़राज़
- किसी से दिल की हिक़ायत कभी कहा नहीं की / फ़राज़
- एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ? / फ़राज़
- रातें हैं उदास दिन कड़े हैं / फ़राज़
- दिल बहलता है कहाँ अंजुम-ओ-महताब से भी / फ़राज़
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