सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
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जन्म | 04 अप्रैल 1961 |
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उपनाम | रक़ीब लखनवी |
जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
मुंबई की सामजिक एवं साहित्यिक संस्था आशीर्वाद द्वारा विशेष सम्मान मई 2008 में । | |
जीवन परिचय | |
सतीश शुक्ला 'रक़ीब' / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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- दो सज़ा शौक़ से सज़ा क्या है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दिल से रक्खेंगे लगाकर हर निशानी आपकी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दिल में घर किए अपना ग़म हज़ार बैठे हैं / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दूर रहना तो अब दूर की बात है, पास भी अब तो आया नहीं जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- देखकर बस इक नज़र उसको दिवाना कर दिया / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- छा जाए घटा जब ज़ुल्फ़ों की / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बिजलियों सी चमक है तेरी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- भारत के शहनशाहों में एक ऐसा बशर था / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बेवफ़ा को भी जहाँ में बावफ़ा मिल जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बेकसों को सताने से क्या फ़ायदा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ऐ काश मेरी भी बन जाए, जो बात है, बातों बातों में / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आँचल जब भी लहराते हो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जाए जाकर, बेवफाई, कोई उनसे सीख आए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जब प्यार तेरा मुझको मयस्सर न हुआ था / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ख़ुद को तुम मेरी कायनात कहो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आप से तुम, तुम से तू , कहने लगे / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- जिस्मे खाक़ी में क्या बला है वो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- तुम लाजवाब थे और लाजवाब हो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- बताऊँ क्यों अजीब हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अपनी ज़ुल्फ़ें जब महे-कामिल में सरकाते हैं वो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आपकी शरारत भी आपकी इनायत है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- छोड़ा था जहाँ मुझको उसी जा पे खड़ा हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- होता नहीं है प्यार भी अब प्यार की तरह / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अब हमें टाटा का तोहफ़ा, ख़ुशनुमा मिल जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ख़ामोश रहेंगी पीपल पर, बैठी हुई ये चिड़ियाँ कब तक / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- परेशाँ है मेरा दिल, मेरी आँखें भी हैं नम कुछ-कुछ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ज़हनो दिल में हर इक के उतर जाइए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- शहीदे वतन का नहीं कोई सानी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- गुज़री है रात कैसे सबसे कहेंगी आँखें / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दिलों में फिर वो पहली सी, मोहब्बत हो अगर पैदा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- चाहते हैं अब भुला दें उसको अपने दिल से हम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- खाक़ में मिल गए हम अगर देखिए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- सुब्ह नौ की है तू रौशनी भी सनम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- इनकार मोहब्बत का करेगा तू कहाँ तक / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आज माहौल दुनिया का खूंरेज़ है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
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