शीन काफ़ निज़ाम
जन्म | 26 नवम्बर 1947 |
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जन्म स्थान | जोधपुर |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
नाद, लम्हों की सलीब, दश्त में दरिया, साया कोई लम्बा न था। | |
विविध | |
मंटॊ की कहानियों के विशेषज्ञ। | |
जीवन परिचय | |
शीन काफ़ निज़ाम / परिचय |
ग़ज़लें
- झील के जज़ीरे लिख / शीन काफ़ निज़ाम
- बर्फ़ है रात, मगर यार पिघलती ही नहीं / शीन काफ़ निज़ाम
- आज वो भी घर से बेघर हो गया / शीन काफ़ निज़ाम
- किसी के साथ अब साया नहीं है / शीन काफ़ निज़ाम
- ग़म की नदी में उम्र का पानी ठहरा-ठहरा लगता है / शीन काफ़ निज़ाम
- पहले ज़मीन बाँटी थी फिर घर भी बँट गया / शीन काफ़ निज़ाम
- चाल हम सब से चल गया सूरज / शीन काफ़ निज़ाम
- किसी को कुछ न बताओ किसी से कुछ न कहो / शीन काफ़ निज़ाम
- रास्ते में वो मिला अच्छा लगा / शीन काफ़ निज़ाम
- पत्तियाँ हो गईं हरी देखो / शीन काफ़ निज़ाम
- दरवाज़ा कोई घर से निकालने के लिए दे / शीन काफ़ निज़ाम
- वो गुनगुनाते रास्ते ख्वाबों के क्या हुए / शीन काफ़ निज़ाम
- बूँद बन-बन के बिखरता जाए / शीन काफ़ निज़ाम
- और कुछ देर यूँ ही शोर मचाए रखिए / शीन काफ़ निज़ाम
- वो कहाँ चश्मे-तर में रहते हैं / शीन काफ़ निज़ाम
- फिर आश्ना अजनबी सा कोई उदास लम्हा ठहर गया क्या / शीन काफ़ निज़ाम
- वही न मिलने का ग़म और वही गिला होगा / शीन काफ़ निज़ाम
- नज्रे-बानी / शीन काफ़ निज़ाम
- दम घुट रहा है रात दिन की सर्द जंग से / शीन काफ़ निज़ाम
- जंगल से जलते बुझते नगर मेरे नाम क्यूँ / शीन काफ़ निज़ाम
- ख़ाक भी हो गई ख़ला अब के / शीन काफ़ निज़ाम
- फिर बोले सन्नाटे सूने / शीन काफ़ निज़ाम
- मिरे खुश्क़ खेतों को बरसात दे / शीन काफ़ निज़ाम
- जंगल के झरने की धार / शीन काफ़ निज़ाम
- छीन कर वो लज़्ज़्त ए सोतो सदा ले जाएगा / शीन काफ़ निज़ाम
- चेहरों की चोरी करता है / शीन काफ़ निज़ाम
- उन में से बच रहे जो हम हैं मियाँ / शीन काफ़ निज़ाम
- उम्र लंबी तो है मगर बाबा / शीन काफ़ निज़ाम
- पुरखों से जो मिली है वो दौलत भी ले न जाय / शीन काफ़ निज़ाम
- मंज़िल ए ख़्वाब और सफ़र अब तक / शीन काफ़ निज़ाम
नज़्में
- तराई में शाम / शीन काफ़ निज़ाम
- माहो-माही / शीन काफ़ निज़ाम
- इतना तो होगा ही / शीन काफ़ निज़ाम
- चांद कँवल / शीन काफ़ निज़ाम
- घाटी में चांद / शीन काफ़ निज़ाम
- तुम्हारी याद / शीन काफ़ निज़ाम
- कैवेन्टर्स ईस्ट-1 / शीन काफ़ निज़ाम
- कैवेन्टर्स ईस्ट-2 / शीन काफ़ निज़ाम
- दुख / शीन काफ़ निज़ाम
- शाम : एक मंज़र / शीन काफ़ निज़ाम
- तुम्हे देखे ज़माने हो गए हैं / शीन काफ़ निज़ाम
- जाड़े की दोपहर / शीन काफ़ निज़ाम