देखा-अदेखा
रचनाकार | लीलाधर मंडलोई |
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प्रकाशक | शिल्पायन, 10295,लेन नं०-1, वैस्ट गोरखपार्क, शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | 2002 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | |
पृष्ठ | 168 |
ISBN | 81-87302-18-6 |
विविध |
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- टेमा-ढिबरी
- टेमा-ढिबरी / लीलाधर मंडलोई
- स्वप्न या उससे बाहर / लीलाधर मंडलोई
- जलस्वप्न / लीलाधर मंडलोई
- कविता घर / लीलाधर मंडलोई
- जागा नहीं जुमा / लीलाधर मंडलोई
- सिर्फ़ गिलहरी / लीलाधर मंडलोई
- क़स्बे की दुकान में मनमोहन जी / लीलाधर मंडलोई
- एक रचना प्रक्रिया / लीलाधर मंडलोई
- घोड़ानक्कास / लीलाधर मंडलोई
- इस नए शहर में / लीलाधर मंडलोई
- इच्छाएँ अपनी जगह खोजती रहती हैं / लीलाधर मंडलोई
- उस आदमी पर वार करो / लीलाधर मंडलोई
- गुरुदक्षिणा / लीलाधर मंडलोई
- लिख अब यह सब / लीलाधर मंडलोई
- मंदी / लीलाधर मंडलोई
- लोहे का स्वाद / लीलाधर मंडलोई
- मेरा तकिया छिन लिया गया / लीलाधर मंडलोई
- आपत्ति / लीलाधर मंडलोई
- मगर एक आवाज़ / लीलाधर मंडलोई
- अब भी / लीलाधर मंडलोई
- मैं हँसा / लीलाधर मंडलोई
- शर्म / लीलाधर मंडलोई
- इस मौसम में / लीलाधर मंडलोई
- गुमशुदगी / लीलाधर मंडलोई
- कुलगोत्र / लीलाधर मंडलोई
- मदसूर्य
- मदसूर्य / लीलाधर मंडलोई
- जोड़ हाथ कोहरा सूरज के / लीलाधर मंडलोई
- सचमुच हम कुछ नहीं जानते / लीलाधर मंडलोई
- समाए अपने भीतर समूचे पेड़ की इच्छा / लीलाधर मंडलोई
- एक बूढ़े की पीठ / लीलाधर मंडलोई
- एक रोज़ चुराऊंगा ज़रूर / लीलाधर मंडलोई
- झपकी मेरी भी आँखें / लीलाधर मंडलोई
- कतराता रहा जिनसे / लीलाधर मंडलोई
- और उससे परे भी उपस्थित है समुद्र / लीलाधर मंडलोई
- धरती की भूरी हंडिया में / लीलाधर मंडलोई
- पृथ्वी खोजती हो अपना होना / लीलाधर मंडलोई
- बची रहती है पूरी उम्मीद / लीलाधर मंडलोई
- देखा-अदेखा
- देखा-अदेखा. / लीलाधर मंडलोई
- एक रोज़-तीन कविताएँ / लीलाधर मंडलोई
- चिड़िया की देह की झुरझुरी / लीलाधर मंडलोई
- फ़्लैशबैक / लीलाधर मंडलोई
- बस कैमरा था / लीलाधर मंडलोई
- रंभाती आवाज़ की किलक / लीलाधर मंडलोई
- एक फल के टूटकर गिरने का विरोध / लीलाधर मंडलोई
- भीग-भीग उठता है कई बार / लीलाधर मंडलोई
- तितलियों के पीछे / लीलाधर मंडलोई
- सिर्फ़ जहाज का कप्तान / लीलाधर मंडलोई
- ठिठकना मेरा कहीं दर्ज़ नहीं / लीलाधर मंडलोई
- सम्भव है समुद्र / लीलाधर मंडलोई
- पिंडलियों से उठती धमक / लीलाधर मंडलोई
- उनके पास फ़क़त नींद है
- उनके पास फ़क़त नींद है / लीलाधर मंडलोई
- समुद्र की प्रार्थना / लीलाधर मंडलोई
- बच्चा / लीलाधर मंडलोई
- झरा दूध अभी / लीलाधर मंडलोई
- ओंगी पुत्र को पिता से पहला पाठ / लीलाधर मंडलोई
- अभी बिल्कुल अभी / लीलाधर मंडलोई
- भरे दुखों में गाए गीत / लीलाधर मंडलोई
- उगलत-लीलत पीर घनेरी / लीलाधर मंडलोई
- एक आधुनिक प्रार्थनागीत / लीलाधर मंडलोई
- संग-साथ हो छप्पर-पानी / लीलाधर मंडलोई
- खटखटे, पिंजरे और कोरियों के वशंज / लीलाधर मंडलोई
- काला पहाड़ / लीलाधर मंडलोई
- पुलुगा / लीलाधर मंडलोई
- मक्खीपानी का गीत / लीलाधर मंडलोई
- डोंगी का गीत / लीलाधर मंडलोई
- तानागिरू / लीलाधर मंडलोई
- कह सकता हूँ खुल्लम-खुल्ला / लीलाधर मंडलोई
- उसको यह अक्कास
- उसको यह अक्कास / लीलाधर मंडलोई
- 78. आर0 पी0एम0 / लीलाधर मंडलोई
- अक्का माँ-1 / लीलाधर मंडलोई
- अक्का माँ-2 / लीलाधर मंडलोई
- नीली चमकीली तान / लीलाधर मंडलोई
- भैरवी उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ की / लीलाधर मंडलोई
- आमीन!! / लीलाधर मंडलोई
- देखता हूँ मैं / लीलाधर मंडलोई
- एक अबूझ बंदिश / लीलाधर मंडलोई
- माँ दिन भर हमारे इंतज़ार में रहती है / लीलाधर मंडलोई
- माँ की एक गहरी आराम भरी नींद के लिए / लीलाधर मंडलोई
- कि नमक रोटियों में / लीलाधर मंडलोई
- 15 जून 1982 / लीलाधर मंडलोई
- मेरा नन्हा सुचिंत बैठा है / लीलाधर मंडलोई
- एक माँ का होना / लीलाधर मंडलोई
- सहा-कहा / लीलाधर मंडलोई
- आएगा तो मांगेगा वो सबसे सब हिसाब
- कवि शमशेर के अवसान पर तीन कविताएँ
- धी-ना-धी-धीना-ती-ना-धी-धी-ना / लीलाधर मंडलोई
- बुर्के के भीतर दो आँखें / लीलाधर मंडलोई
- जीवन किसी नदी के जल की तरह / लीलाधर मंडलोई
- आह्लाद के प्रति / लीलाधर मंडलोई
- बच्चों के सपनों में / लीलाधर मंडलोई
- सिर्फ़ एक पथरीला चेहरा / लीलाधर मंडलोई
- कोई और स्वर होगा कि अन्तिम नहीं / लीलाधर मंडलोई
- जिसे मैं पढ़ सकता था / लीलाधर मंडलोई
- हँसता ही रहा / लीलाधर मंडलोई
- जीवन रस / लीलाधर मंडलोई
- रोज़नामचा / लीलाधर मंडलोई
- लौटकर आया तो / लीलाधर मंडलोई
- रिश्ता / लीलाधर मंडलोई
- दूर-दूर तक खाली आसमान में / लीलाधर मंडलोई
- शब्द के ऎश्वर्य में / लीलाधर मंडलोई
- होना चाहता हूँ / लीलाधर मंडलोई