नीम तले

| रचनाकार | 'सज्जन' धर्मेन्द्र | 
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| प्रकाशक | लोकोदय प्रकाशन, लखनऊ | 
| वर्ष | 2018 | 
| भाषा | हिन्दी | 
| विषय | नवगीत संग्रह | 
| विधा | नवगीत | 
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| विविध | इस संग्रह को लोकोदय नवलेखन सम्मान 2015 दिया गया है | 
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- पत्थर-दिल पूँजी के दिल पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - पैसा, ख़तरा, ख़ून हमारा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - ब्राह्मणवाद हँसा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - झूठ का कुहासा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - श्री कनेर का मन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - पूँजी के उत्तर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - एक धुरी पर नाच रहा पंखा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - भौंक रहे कुत्ते / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - काले-काले घोड़े / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - पूँजी के काले खातों में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - समय की कुल्हाड़ी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - ये दुनिया है भूलभुलैया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - नीम तले (नवगीत) / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - चंचल नदी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - बस प्यार तुम्हारा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - समाचार है अद्भुत / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - आसमान के पार स्वर्ग है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - टेसू के फूलों के भारी हैं पाँव / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - यंत्रों के जंगल में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - हरसिंगार हुआ जीवन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - शब्द-माफ़िया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - काँपता सा वर्ष नूतन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - कृष्णकाय सड़कों पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - इस बार जलाएँ दीप / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - दिन भर के भूखे को जैसे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - रुक गई बहती नदी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - माली कैसे सह पाता है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - सेवा के कुछ फूलों में हम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - उत्सव का मौसम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - खामखा संबंध मत दो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - भीड़ भरे इस चौराहे पर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - कब सीखा पीपल ने भेदभाव करना / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - मेरे जितने भी निन्दक हैं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - अंधा धर्म लिए फिरता है हाथों में बंदूक / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - वो कमल था / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - जेठ में जब लू चले / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - कंकरीट के जंगल में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - बैकुंठवासी श्याम / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - सूरज रे जलते रहना / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - गंगे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - आज सूरज ने बताया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - मैंने ईश्वर को मंदिर में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - बहुत बड़ा परिवार मिला / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - सड़कों पर बेच रही / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - दिल में अंगार जले / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - फिर आया घर-घर में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - नव वर्ष ऐसा हो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - सब में मिट्टी है भारत की / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - विश्व प्रकाशित हो जाता / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - देवी तुम जाओ मंदिर में / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - शर्मीली फ़ाइल / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - ख़बर बेख़बर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - रंग से भरे सुगंध से तरे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - पूज्य कमल जी / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - हरे-भरे पेड़ / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - मेघ श्वेत-श्याम कह रहे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - बूँद-बूँद बरसो / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - अवकलन, समाकलन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - मेरा चाँद आज आधा है / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - पलकों ने चुम्बन के गीत सुने / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - मेरी नज़रें तुमको छूतीं / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - बिना तुम्हारे / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - तुम नहीं आये / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - प्रेम-गीत ऐसा लिख पाऊँगा / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - दीवाली तेरी यादों की / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
 - हमसे कुछ दूर ही रहना / 'सज्जन' धर्मेन्द्र