भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पद्माकर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|उपनाम=पद्माकर | |उपनाम=पद्माकर | ||
|जन्म= 1753 | |जन्म= 1753 | ||
− | |जन्मस्थान= सागर, मध्य प्रदेश | + | |जन्मस्थान=सागर, मध्य प्रदेश |
− | |मृत्यु= 1833 | + | |मृत्यु=1833 |
|कृतियाँ= [[जगद्विनोद / पद्माकर|जगद्विनोद]], [[प्रबोध चन्द्रोदय / पद्माकर|प्रबोध चन्द्रोदय]], [[हिम्मतबहादुर-विरुदावली / पद्माकर|हिम्मतबहादुर-विरुदावली]] | |कृतियाँ= [[जगद्विनोद / पद्माकर|जगद्विनोद]], [[प्रबोध चन्द्रोदय / पद्माकर|प्रबोध चन्द्रोदय]], [[हिम्मतबहादुर-विरुदावली / पद्माकर|हिम्मतबहादुर-विरुदावली]] | ||
|विविध= | |विविध= | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatMadhyaPradesh}} | {{KKCatMadhyaPradesh}} | ||
− | + | {{KKCatBrajBhashaRachnakaar}} | |
− | * '''[[जगद्विनोद / पद्माकर]]''' | + | ====प्रतिनिधि संग्रह==== |
− | * ''' | + | * '''[[जगद्विनोद / पद्माकर]]''' |
− | * ''' | + | * '''प्रबोध चन्द्रोदय / पद्माकर''' |
− | + | * '''हिम्मतबहादुर-विरुदावली / पद्माकर''' | |
− | + | ====प्रतिनिधि रचनाएँ==== | |
* [[दाहन ते दूनी, तेज तिगुनी त्रिसूल हूं ते / पद्माकर]] | * [[दाहन ते दूनी, तेज तिगुनी त्रिसूल हूं ते / पद्माकर]] | ||
* [[दोहे / पद्माकर]] | * [[दोहे / पद्माकर]] | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 66: | ||
* [[ऐ ब्रजचन्द गोविंद गोपाल / पद्माकर]] | * [[ऐ ब्रजचन्द गोविंद गोपाल / पद्माकर]] | ||
* [[मीनागढ़ बंबई सुमंद मंदराज बंग / पद्माकर]] | * [[मीनागढ़ बंबई सुमंद मंदराज बंग / पद्माकर]] | ||
− |
04:36, 30 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
पद्माकर भट्ट
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 1753 |
---|---|
निधन | 1833 |
उपनाम | पद्माकर |
जन्म स्थान | सागर, मध्य प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
जगद्विनोद, प्रबोध चन्द्रोदय, हिम्मतबहादुर-विरुदावली | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
पद्माकर / परिचय |
प्रतिनिधि संग्रह
- जगद्विनोद / पद्माकर
- प्रबोध चन्द्रोदय / पद्माकर
- हिम्मतबहादुर-विरुदावली / पद्माकर
प्रतिनिधि रचनाएँ
- दाहन ते दूनी, तेज तिगुनी त्रिसूल हूं ते / पद्माकर
- दोहे / पद्माकर
- अँचल के ऎँचे चल करती दॄगँचल को / पद्माकर
- ओप भरी कंचुकी उरोजन पर ताने कसी / पद्माकर
- चाह भरो चंचल हमारो चित्त नौल बधू / पद्माकर
- कै रति रँग थकी थिर ह्वै / पद्माकर
- चहचही चुभकैँ चुभी हैँ चौँक चुँबन की / पद्माकर
- आरस सोँ रस सोँ पदमाकर / पद्माकर
- अधखुली कँचुकी उरोज अध आधे खुले / पद्माकर
- आरस सोँ आरत सँभारत न सीस पट / पद्माकर
- जाहिरै जागति सी जमुना जब बूडै बहै / पद्माकर
- सोभित स्वकीया गनगुन गिनती मे तहाँ / पद्माकर
- खाये पान बीरी सी बिलोचन विराजैँ आज / पद्माकर
- सुँदर सुरँग अँग शोभित अनँग रँग / पद्माकर
- सौ दिन को मारग तहाँ की बिदा माँगी पिया / पद्माकर
- ए अलि हमेँ तो बात गात की न जानि परै / पद्माकर
- जग जीवन को फल जानि परयो ,धनि नैनन को ठहरैयत हैँ / पद्माकर
- घर ना सुहात ना सुहात बन बाहिर हू / पद्माकर
- एकै सँग हाल नँदलाल औ गुलाल दोऊ / पद्माकर
- आजु दिन कान्ह आगमन के बधाए सुनि / पद्माकर
- लै पटपीत भले पहिरे पहिराय पियै चुनि चूनरि खासी / पद्माकर
- दूरि ही ते देखति दसा मैँ वा वियोगिनि की / पद्माकर
- कबहूं फिर पांव न देहौं लला, भजि जैहौं तहां जहां सूधी सहौ / पद्माकर
- ये नन्दगाँव ते आये इहां उत आई सुता वह कौनहू ग्वाल की / पद्माकर
- सोसनी दुकूलनि दुराये रूप रोसनी है / पद्माकर
- घूंघट की धूम के सुझूम के जवाहिर के / पद्माकर
- गँजन सुगुँज लग्यो तैसो पौन पुँज लग्यो / पद्माकर
- आली हौँ गई ही आज भूलि बरसाने कहूँ / पद्माकर
- बोलति न काहे ! एरी, पूछे बिन बोलोँ कहा / पद्माकर
- चपला चमाकैं चहुँ ओरन ते चाह भरी / पद्माकर
- फागु के भीर अभीरन तें / पद्माकर
- आई खेलि होरी, कहूँ नवल किसोरी भोरी / पद्माकर
- कूलन में केलि में कछारन में कुंजन में(ऋतु वर्णन) / पद्माकर
- कूरम पै कोल-कोल (गंगा-स्तुति) / पद्माकर
- मल्लिक न मंजुल मलिंद मतवारे मिले(ऋतु वर्णन) / पद्माकर
- तालन पै ताल पै तमालन पै मालन पै(ऋतु वर्णन) / पद्माकर
- औरे भांति कुंजन में गुंजरत भौर भीर(ऋतु वर्णन) / पद्माकर
- गुलगुली गिलमैं गलीचा है गुनीजन हैं(ऋतु वर्णन) / पद्माकर
- सम्पति सुमेर की कुबेर की जो पावै ताहि / पद्माकर
- आई संग आलिन के ननद पठाई नीठि / पद्माकर
- गोकुल के कुल के गली के गोप गाँवन के / पद्माकर
- मोहिं लखि सोवत बिथोरिगो सुबेनी बनी / पद्माकर
- एहो नंदलाल ऐसी व्याकुल पड़ी है वाल / पद्माकर
- चालो सुनि चन्द्रमुखी चित्त में सुचैन करि / पद्माकर
- तीखे तेगवाही जे सिलाही चढे घोड़न पै / पद्माकर
- ऐ ब्रजचन्द गोविंद गोपाल / पद्माकर
- मीनागढ़ बंबई सुमंद मंदराज बंग / पद्माकर