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पुष्पेन्द्र 'पुष्प'
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पुष्पेन्द्र 'पुष्प'
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पुष्पेन्द्र 'पुष्प' / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- सुख हो तो अभिमान परखना होता है / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- झूठी बातों से बहलाकर लौट गया / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- वैसे तो जीवन में हर दुश्वारी है / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- हम समझते थे कि दिलबर हो गया / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- साथ उनके उजाले गये / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- गुलों में रंगत थी, शोखियाँ थीं / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- यूँ दिल में अरमान मचलते रहते हैं / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- वही गर्दिश, सितारा भी वही है / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- हासिल क्या जल जाने से / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- जब न ये अख़्तर शुमारी जायेगी / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- हर महफ़िल में उनके ही अफसाने हैं / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- तुम कैसे हो दुनियादारी कैसी है / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- पहले कुछ हैरानी दो / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- आपकी तलवार को धोखा हुआ / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- मिला के आँख कभी, बेक़रार होने दो / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- ताज़ा दिल का घाव हमेशा रहता है। / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- दर्द का फिर गीत गाया झील ने / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- ये कैसी रहगुज़र पर हम खड़े हैं / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- अगर तुमको समन्दर देखना था / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- आज फिर मुझसे मिली है ज़िन्दगी / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’
- उल्फ़त है तो डर कैसा, रुसवाई क्या / पुष्पेन्द्र ‘पुष्प’