नया पृष्ठ: <poem>हर अनहोनी बात बदल दें चलो आज हालत बदल दें सुबह नहीं होनी है जिसक…
नया पृष्ठ: <poem>महफ़िल में तन्हा रहता हूँ देखो मै क्या क्या सहता हूँ जब पुख्ता …
नया पृष्ठ: <poem>सबकी आँखों में झाँकता हूँ मैं जाने क्या चीज ढूँढता हूँ मैं अपन…
नया पृष्ठ: <poem>दीवारों को घर समझा था मैं कम से कमतर समझा था सच का मोल नहीं है, सच…
नया पृष्ठ: <poem>हिन्दू है कोई, कोई मुसलमान शहर में ढूँढे न मिला एक भी इन्सान शहर …
नया पृष्ठ: <poem>अपनी खुशियाँ अपने सपने सब के सब बेकार हुए फूलों जैसे लोग भी जान…
नया पृष्ठ: <poem>आऊँगा मैं, मेरी राहों को सजाये रखना न मिलें फूल तो काँटे ही बिछ…
नया पृष्ठ: <poem>जाने किसकी साजिश है ये जाने किसने फेंके हैं मेरे शहर के दामन पर …
नया पृष्ठ: <poem>इस शहर में ये अज़ब यारो तमाशा देखा थी जरूरत जहाँ सूरज की कुहासा …
नया पृष्ठ: <poem>कतरा रहें हैं आज कल पंछी उडान से पत्थर बरस रहे हैं बहुत आसमान से …
नया पृष्ठ: <poem>घाट मुर्दा है, गली मुर्दा है, घर मुर्दा है मैं जहाँ रहता हूँ वो स…
नया पृष्ठ: <poem>इस तरह तारीकियों के हल निकाले जायेंगे सिर्फ अंधों के घरों में द…
नया पृष्ठ: <poem>सिर्फ मेरा ही नहीं था ये शहर तेरा भी था तूने लूटा खुद जिसे ऐ दोस्…
नया पृष्ठ: <poem>कभी तो चेहरे से चेहरा हटा के बात करो कभी तो खुद से भी आँखें मिला …
नया पृष्ठ: <poem>मल्लाह बन के बैठे थे कल तक जो नाव में लो आज वो भी व्यस्त हैं अपने …
नया पृष्ठ: <poem>निकल आये किधर हम बेखुदी में यहाँ तो है अँधेरा रौशनी में न मेरी आ…
नया पृष्ठ: <poem>सारे शहर में एक भी तो घर बचा नहीं कल रात कोई हादसा जिसमे हुआ नहीं…
नया पृष्ठ: <poem>चल मन, उठ अब तैयारी कर यह चला - चली की वेला है कुछ कच्ची - कुछ पक्की…
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नया पृष्ठ: <poem>मृत्यु तू आना तेरा स्वागत करूँगा किन्तु मत आना कि जैसे कोई बिल…
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नया पृष्ठ: <poem> व्यक्ति का आचरण विषैला है सारा वातावरण विषैला है क्या सुनाएँ …
नया पृष्ठ: <poem>कौन किसको क्या बताये क्या हुआ हर अधर पर मौन है चिपका हुआ जब भी ल…
नया पृष्ठ: <poem>वो शख्स एक समंदर जो सबको लगता था किसे पता है भला वो भी कितना प्या…
नया पृष्ठ: <poem>जितने भी लोग मुझे कल सरे बाजार मिले सब किसी और की अस्मत के खरीदा…
नया पृष्ठ: <poem>ठहरा है झील का पानी तो उठा लो पत्थर कोई हलचल तो मचे यारो उछालो पत…
नया पृष्ठ: <poem>मैं बनाने चला हूँ वही आशियाँ आ के जिसकी हिफाज़त करें बिजलियाँ …
नया पृष्ठ: <poem>हर तरफ इक सनसनी है इस शहर में मौत की चादर तनी है इस शहर में दोस्त…
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नया पृष्ठ: <poem>बड़ा अजीब सा मंजर दिखाई देता है। तमाम शहर ही खंडहर दिखाई देता ह…
नया पृष्ठ: <poem>घटा से चाँद की सूरत निकल रहा हूँ मैं। चिराग बनके अंधेरों में जल …
नया पृष्ठ: <poem>होठों को सच्चाई दे बस इतनी अच्छाई दे मेरा ही आसेब मुझे घर में रो…
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नया पृष्ठ: <poem>हर शख्श है लुटा- लुटा हर शय तबाह है ये शह्र कोई शह्र है या क़त्ल-ग…
नया पृष्ठ: <poem>बने हुए हैं इस नगरी में सब शीशे के घर लोगो दरक गए तो कहाँ रहोगे म…
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नया पृष्ठ: {{KKPustak |चित्र=-- |नाम=Aur kab tak chup rahen |रचनाकार=kumar anil |प्रकाशक= Navdha Prakashan, Meerut |वर्ष= …
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