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प्रेमशंकर रघुवंशी
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प्रेमशंकर रघुवंशी
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जन्म | 08 जनवरी 1936 |
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जन्म स्थान | बैंगनिया, सिवनी मालवा तहसील, हरदा, होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
आकार लेती यात्राएँ, पहाड़ों के बीच, देखो साँप : तक्षक नाग, तुम पूरी पृथ्वी हो कविता, पकी फसल के बीच, नर्मदा की लहरों से (सभी कविता-संग्रह), अँजुरी भर घाम, मुक्ति के शंक,सतपुड़ा के शिखरों से (गीत-संग्रह)। | |
विविध | |
दुष्यंत पुरस्कार, बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार, वागीश्वरी पुरस्कार, आर्यकल्प पुरस्कार | |
जीवन परिचय | |
प्रेमशंकर रघुवंशी / परिचय |
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- पीकता हुआ / प्रेमशंकर रघुवंशी
- परछाईं / प्रेमशंकर रघुवंशी
- द्वैत से परे / प्रेमशंकर रघुवंशी
- भूख और सूरज / प्रेमशंकर रघुवंशी
- प्रेम कविताएं / प्रेमशंकर रघुवंशी
- यह पूछने पर / प्रेमशंकर रघुवंशी
- प्रार्थना होता जीवन / प्रेमशंकर रघुवंशी
- ममत्व से दूर / प्रेमशंकर रघुवंशी
- लौटती जनता / प्रेमशंकर रघुवंशी
- स्त्री / प्रेमशंकर रघुवंशी
- हमारा चाहने वाला / प्रेमशंकर रघुवंशी
- गूंजे कूक प्यार की / प्रेमशंकर रघुवंशी
- नागार्जुन के महाप्रयाण पर / प्रेमशंकर रघुवंशी
- पाकशाला का गीत / प्रेमशंकर रघुवंशी
- हां ना के बीच / प्रेमशंकर रघुवंशी
- सपनों में सतपुड़ा / प्रेमशंकर रघुवंशी
- सिसक रही झुरमुट में तितली / प्रेमशंकर रघुवंशी
- इन दिनों / प्रेमशंकर रघुवंशी
- गर्भगृह तक / प्रेमशंकर रघुवंशी
- गांव आने पर / प्रेमशंकर रघुवंशी
- निश्चय ही वहां / प्रेमशंकर रघुवंशी
- महक / प्रेमशंकर रघुवंशी
- मां की याद / प्रेमशंकर रघुवंशी
- मिल बांटकर / प्रेमशंकर रघुवंशी
- सतपुड़ा और उसकी बेटी नर्मदा / प्रेमशंकर रघुवंशी
- हथेलियां / प्रेमशंकर रघुवंशी
- हम उपमा देकर ठगे गए / प्रेमशंकर रघुवंशीऐसा लगता है, पता नहीं कैसा लगता है
- ऐसा लगता है, पता नहीं कैसा लगता है/ प्रेमशंकर रघुवंशी
- हरदा में / प्रेमशंकर रघुवंशी
- गोया / प्रेमशंकर रघुवंशी
- तुम मिलो / प्रेमशंकर रघुवंशी
- ले लो रे / प्रेमशंकर रघुवंशी
- गिलास भर नर्मदा / प्रेमशंकर रघुवंशी
- मानसून देखा / प्रेमशंकर रघुवंशी
- वे और हम / प्रेमशंकर रघुवंशी
- जिनके खातिर / प्रेमशंकर रघुवंशी
- जोगी जंगल बीच बसें / प्रेमशंकर रघुवंशी
- आतंकवादी चाल तू / प्रेमशंकर रघुवंशी
- भावदरिद्र / प्रेमशंकर रघुवंशी
- बात / प्रेमशंकर रघुवंशी
- आपस में / प्रेमशंकर रघुवंशी
- ये आमजन की आग / प्रेमशंकर रघुवंशी
- कच्चा दूध / प्रेमशंकर रघुवंशी
- कभी-कभी / प्रेमशंकर रघुवंशी
- ऐंठूराम / प्रेमशंकर रघुवंशी
- बोलो गम / प्रेमशंकर रघुवंशी
- सतपुड़ा के शिखरों से / प्रेमशंकर रघुवंशी
- तिरस्कार करने पर / प्रेमशंकर रघुवंशी
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