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पंक्तियों में सिमट गया मन / ईश्वर करुण
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पंक्तियों में सिमट गया मन
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रचनाकार | ईश्वर करुण |
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कविताएँ
- एक पापा की आत्म-स्वीकृति / ईश्वर करुण
- मेरी कविताओं की ओर / ईश्वर करुण
- प्रण / ईश्वर करुण
- चोरे महथा / ईश्वर करुण
- ओ पंद्रह अगस्त! मेरे उत्तर? / ईश्वर करुण
- यक्ष आवाहन / ईश्वर करुण
- मेरी भी कुछ सुनो तो / ईश्वर करुण
- उतथान-चिंतन / ईश्वर करुण
- दौड़ना तो होगा ही / ईश्वर करुण
- पंक्तियों में सिमट गया मन (कविता) / ईश्वर करुण
- गीत-नेह के नगर में / ईश्वर करुण
- एक चिट्ठी : अनेक व्यथाएँ / ईश्वर करुण
- घर्ष से उत्कर्ष लूँगा / ईश्वर करुण
- मेरे अबोध! / ईश्वर करुण
- आदमकद / ईश्वर करुण
गजलें
- डूब जाएगा ही मझधार में जाकर नैया / ईश्वर करुण
- घुटन ही घुटन है शहरे-ए-वतन में / ईश्वर करुण
- उठा कदम भले कोई, मगर दिल से पूछ ले / ईश्वर करुण
- दुश्मन के जवानों से ण एटमबम के निशानो में / ईश्वर करुण
- फूलों का एक शहर कोई मुझको तलाश दो / ईश्वर करुण
- फिर दरख्तों के साये सिमानते लगे / ईश्वर करुण
- है कहीं क्या देश मेरा काश! तुम बतला सको / ईश्वर करुण
- सोसती सिरी लिखा ‘ईश्वर’ ने ईद मुबारक यार कलाम / ईश्वर करुण
- तन गयीं हैं मुट्ठियाँ आकाश में / ईश्वर करुण
- खाये हैं धोखे राह से जनता के पाँव ने / ईश्वर करुण
- हर शख्स की आँखों में दहशत थमी-थमी है / ईश्वर करुण
- बोलियाँ तकरार की और खेतियाँ हथियार की / ईश्वर करुण
- अमन के नाम दो लमहात फकत कर्ज चाहिए / ईश्वर करुण
- धुआँ उठा है दिल में मेरे, कमी हुई कुछ मस्ती में / ईश्वर करुण
- सहमे हुए मौसम में कब गुलाब खिले हैं ! / ईश्वर करुण
- रेती में लगे गुलमोहर गुलशन में वीराना है / ईश्वर करुण
- मौत बेचे दिन महीना आजकल / ईश्वर करुण
- नये वर्ष में मंगल क्षण हों / ईश्वर करुण