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एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन
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एकांत-संगीत
रचनाकार | हरिवंशराय बच्चन |
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प्रकाशक | प्रथम संस्करण’ सुषमा निकुंज, प्रयाग। द्वितीय एवं तृतीय संस्करण, भारती भंड़ार’ प्रयाग। चतुर्थ एवं पंचम संस्करण, सेंट्रल बुक ड़िपो, इलाहाबाद। |
वर्ष | नवंबर, १९३९ |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | ११२ |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- एकांत संगीत (कविता) / हरिवंशराय बच्चन
- अब मत मेरा निर्माण करो / हरिवंशराय बच्चन
- मेरे उर पर पत्थर धर दो / हरिवंशराय बच्चन
- मूल्य दे सुख के क्षणों का / हरिवंशराय बच्चन
- कोई गाता, मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन
- मेरा तन भूखा, मन भूखा / हरिवंशराय बच्चन
- व्यर्थ गया क्या जीवन मेरा? / हरिवंशराय बच्चन
- खिड़की से झाँक रहे तारे / हरिवंशराय बच्चन
- नभ में दूर-दूर तारे भी / हरिवंशराय बच्चन
- मैं क्यों अपनी बात सुनाऊँ? / हरिवंशराय बच्चन
- छाया पास चली आती है / हरिवंशराय बच्चन
- मध्य निशा में पंछी बोला / हरिवंशराय बच्चन
- जा कहाँ रहा है विहग भाग? / हरिवंशराय बच्चन
- जा रही है यह लहर भी / हरिवंशराय बच्चन
- प्रेयसि, याद है वह गीत? / हरिवंशराय बच्चन
- कोई नहीं, कोई नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- किसलिये अंतर भयंकर? / हरिवंशराय बच्चन
- अब तो दुख के दिवस हमारे / हरिवंशराय बच्चन
- मैंने गाकर दुख अपनाए / हरिवंशराय बच्चन
- चढ़ न पाया सीढ़ियों पर / हरिवंशराय बच्चन
- क्या दंड़ के मैं योग्य था? / हरिवंशराय बच्चन
- मैं जीवन में कुछ कर न सका / हरिवंशराय बच्चन
- कुछ भी नहीं, कुछ भी नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- जैसा गाना था गा न सका / हरिवंशराय बच्चन
- गिनती के गीत सुना पाया / हरिवंशराय बच्चन
- किसके लिए? किसके लिए? / हरिवंशराय बच्चन
- बीता इकतीस बरस जीवन / हरिवंशराय बच्चन
- मेरी सीमाएँ बतला दो / हरिवंशराय बच्चन
- किस ओर मैं? किस ओर मैं? / हरिवंशराय बच्चन
- जन्म दिन फिर आ रहा है / हरिवंशराय बच्चन
- क्या साल पिछला दे गया? / हरिवंशराय बच्चन
- सोचा, हुआ परिणाम क्या / हरिवंशराय बच्चन
- फिर वर्ष नूतन आ गया / हरिवंशराय बच्चन
- यह अनुचित माँग तुम्हारी है / हरिवंशराय बच्चन
- क्या ध्येय निहित मुझमें तेरा? / हरिवंशराय बच्चन
- मैं क्या कर सकने में समर्थ? / हरिवंशराय बच्चन
- पूछता, पाता न उत्तर / हरिवंशराय बच्चन
- तब रोक न पाया मैं आँसू / हरिवंशराय बच्चन
- गंध आती है सुमन की / हरिवंशराय बच्चन
- है हार नहीं यह जीवन में / हरिवंशराय बच्चन
- मत मेरा संसार मुझे दो / हरिवंशराय बच्चन
- मैंने मान ली तब हार / हरिवंशराय बच्चन
- देंखतीं आकाश आँखें / हरिवंशराय बच्चन
- तेरा यह करुण अवसान / हरिवंशराय बच्चन
- बुलबुल जा रही है आज / हरिवंशराय बच्चन
- जब करूँ मैं काम / हरिवंशराय बच्चन
- मिट्टी दीन कितनी, हाय / हरिवंशराय बच्चन
- घुल रहा मन चाँदनी में / हरिवंशराय बच्चन
- व्याकुल आज तन-मन-प्राण / हरिवंशराय बच्चन
- मैं भूला भूला सा जग में / हरिवंशराय बच्चन
- खोजता है द्वार बन्दी / हरिवंशराय बच्चन
- मैं पाषाणों का अधिकारी / हरिवंशराय बच्चन
- तू देख नहीं यह क्यों पाया? / हरिवंशराय बच्चन
- दुर्दशा मिट्टी की होती / हरिवंशराय बच्चन
- क्षतशीश मगर नतशीश नहीं / हरिवंशराय बच्चन
- यातना जीवन की भारी / हरिवंशराय बच्चन
- दुनिया अब क्या मुझे छलेगी / हरिवंशराय बच्चन
- त्राहि, त्राहि कर उठाता जीवन / हरिवंशराय बच्चन
- चाँदनी में साथ छाया / हरिवंशराय बच्चन
- सशंकित नयनों से मत देख / हरिवंशराय बच्चन
- ओ गगन के जगमगाते दीप / हरिवंशराय बच्चन
- ओ अँधेरी से अँधेरी रात / हरिवंशराय बच्चन
- मेरा भी विचित्र स्वभाव / हरिवंशराय बच्चन
- डूबता अवसाद में मन / हरिवंशराय बच्चन
- उर में अग्नि के शर मार / हरिवंशराय बच्चन
- जुए के नीचे गर्दन ड़ाल / हरिवंशराय बच्चन
- दुखी मन से कुछ भी न कहो / हरिवंशराय बच्चन
- आज घन मन भर बरस लो / हरिवंशराय बच्चन
- स्वर्ग के अवसान का अवसान / हरिवंशराय बच्चन
- यह व्यंग नहीं देखा जाता / हरिवंशराय बच्चन
- तुम्हारा लौह चक्र आया / हरिवंशराय बच्चन
- हर जगह जीवन विकल है / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन का विष बोल उठा है / हरिवंशराय बच्चन
- अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन भूल का इतिहास / हरिवंशराय बच्चन
- नभ में वेदना की लहर / हरिवंशराय बच्चन
- छोड़ मैं आया वहाँ मुस्कान / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन शाप या वरदान / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन में शेष विषाद रहा / हरिवंशराय बच्चन
- अग्नि देश से आता हूँ मैं / हरिवंशराय बच्चन
- सुनकर होगा अचरज भारी / हरिवंशराय बच्चन
- जीवन खोजता आधार / हरिवंशराय बच्चन
- हा, मुझे जीना न आया / हरिवंशराय बच्चन
- अब क्या होगा मेरा सुधार / हरिवंशराय बच्चन
- मैं न सुख से मर सकूँगा / हरिवंशराय बच्चन
- आगे हिम्मत करके आओ / हरिवंशराय बच्चन
- मुँह क्यों आज तम की ओर / हरिवंशराय बच्चन
- विष का स्वाद बताना होगा / हरिवंशराय बच्चन
- कोई बिरला विष खाता है / हरिवंशराय बच्चन
- मेरा जोर नहीं चलता है / हरिवंशराय बच्चन
- मैंने शान्ति नहीं जानी है / हरिवंशराय बच्चन
- अब खँड़हर भी टूट रहा है / हरिवंशराय बच्चन
- प्राथर्ना मत कर, मत कर, मत कर / हरिवंशराय बच्चन
- कुछ भी आज नहीं मैं लूँगा / हरिवंशराय बच्चन
- मुझे न सपनों से बहलाओ / हरिवंशराय बच्चन
- मुझको प्यार न करो ड़रो / हरिवंशराय बच्चन
- तुम गये झकझोर / हरिवंशराय बच्चन
- ओ अपरिपूर्णता की पुकार / हरिवंशराय बच्चन
- सुखमय न हुआ यदि सूनापन / हरिवंशराय बच्चन
- अकेला मानव आज खड़ा है / हरिवंशराय बच्चन
- कितना अकेला आज मैं / हरिवंशराय बच्चन