निशा निमन्त्रण
रचनाकार | हरिवंशराय बच्चन |
---|---|
प्रकाशक | सुषमा निकुंज |
वर्ष | 1938 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | शैली |
पृष्ठ | 120 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अपने पाठकों से / हरिवंशराय बच्चन
- एक कहानी / हरिवंशराय बच्चन
- दिन जल्दी जल्दी ढलता है / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, अन्त दिवस का आया / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, सांझ लगी अब होने / हरिवंशराय बच्चन
- संध्या सिंदूर लुटाती है / हरिवंशराय बच्चन
- बीत चली संध्या की वेला / हरिवंशराय बच्चन
- चल बसी संध्या गगन से / हरिवंशराय बच्चन
- उदित संध्या का सितारा / हरिवंशराय बच्चन
- अंधकार बढ़ता जाता है / हरिवंशराय बच्चन
- जब निशा नभ से उतरती / हरिवंशराय बच्चन
- तुम तूफ़ान समझ पाओगे? / हरिवंशराय बच्चन
- प्रबल झंझावात, साथी / हरिवंशराय बच्चन
- है यह पतझर की शाम,सखे! / हरिवंशराय बच्चन
- यह पावा की सांझ रंगीली / हरिवंशराय बच्चन
- दीपक पर परवाने आए / हरिवंशराय बच्चन
- वायु बहती शीत-निष्ठुर / हरिवंशराय बच्चन
- गिरजे से घंटे की टन-टन / हरिवंशराय बच्चन
- अब निशा देती निमंत्रण / हरिवंशराय बच्चन
- स्वप्न भी छल, जागरण भी / हरिवंशराय बच्चन
- आ, सोने से पहले गा लें / हरिवंशराय बच्चन
- तम ने जीवन-तरु को घेरा / हरिवंशराय बच्चन
- दीप अभी जलने दे, भाई / हरिवंशराय बच्चन
- आ, तेरे उर में छिप जाऊँ / हरिवंशराय बच्चन
- आओ, सो जाएँ, मर जाएँ / हरिवंशराय बच्चन
- हो मधुर सपना तुम्हारा / हरिवंशराय बच्चन
- कोई पार नदी के गाता / हरिवंशराय बच्चन
- आओ, बैठे तरु के नीचे / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, घर-घर आज दिवाली / हरिवंशराय बच्चन
- आ, गिन डालें नभ के तारे / हरिवंशराय बच्चन
- मेरा गगन से संलाप / हरिवंशराय बच्चन
- कहते हैं, तारे गाते हैं / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, देख उल्कापात / हरिवंशराय बच्चन
- देखो, टूट रहा है तारा / हरिवंशराय बच्चन
- मुझसे चांद कहा करता है / हरिवंशराय बच्चन
- विश्व सारा सो रहा है / हरिवंशराय बच्चन
- कोई रोता दूर कहीं पर / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, सो न, कर कुछ बात / हरिवंशराय बच्चन
- तूने क्या सपना दॆखा है? / हरिवंशराय बच्चन
- आज घिरे हैं बादल, साथी / हरिवंशराय बच्चन
- देख रात है काली कितनी / हरिवंशराय बच्चन
- यह पपीहे की रटन है / हरिवंशराय बच्चन
- है पावस की रात अंधेरी / हरिवंशराय बच्चन
- आज मुझसे बोल, बादल / हरिवंशराय बच्चन
- आज रोती रात, साथी / हरिवंशराय बच्चन
- रात-रात भर श्वान भूकते / हरिवंशराय बच्चन
- रो, अशकुन बतलाने वाली / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, नया वर्ष आया है / हरिवंशराय बच्चन
- आओ, नूतन वर्ष मना लें / हरिवंशराय बच्चन
- रात आधी हो गई है / हरिवंशराय बच्चन
- विश्व मनाएगा कल होली / हरिवंशराय बच्चन
- खेल चुके हम फाग समय से / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, कर न आज दुराव / हरिवंशराय बच्चन
- हम कब अपनी बात छिपाते? / हरिवंशराय बच्चन
- हम आँसू की धार बहाते / हरिवंशराय बच्चन
- क्यों रोता है जड़ तकियों पर / हरिवंशराय बच्चन
- मैंने दुर्दिन में गाया है / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, कवि नयनों का पानी- / हरिवंशराय बच्चन
- जग बदलेगा, किन्तु न जीवन / हरिवंशराय बच्चन
- क्षण भर को क्यों प्यार किया था? / हरिवंशराय बच्चन
- 'आज सुखी मैं कितनी,प्यारे' / हरिवंशराय बच्चन
- सोच सूखी मेरी छाती है- / हरिवंशराय बच्चन
- जग का-मेरा प्यार नहीं था / हरिवंशराय बच्चन
- देवता उसने कहा था / हरिवंशराय बच्चन
- मैंने भी जीवन देखा है / हरिवंशराय बच्चन
- क्या मैं जीवन से भागा था? / हरिवंशराय बच्चन
- निर्ममता भी है जीवन में / हरिवंशराय बच्चन
- मैंने खेल किया जीवन से / हरिवंशराय बच्चन
- था तुम्हें मैंने रुलाया / हरिवंशराय बच्चन
- ऎसे मैं मन बहलाता हूँ / हरिवंशराय बच्चन
- अब वे मेरे गान कहाँ हैं / हरिवंशराय बच्चन
- बीते दिन कब आनेवाले / हरिवंशराय बच्चन
- आज मुझसे दूर दुनिया / हरिवंशराय बच्चन
- मैं जग से कुछ सीख न पाया / हरिवंशराय बच्चन
- श्यामा तरु पर बोलने लगी / हरिवंशराय बच्चन
- यह अरुण चूड़ का तरुण राग / हरिवंशराय बच्चन
- तारक-दल छिपता जाता है / हरिवंशराय बच्चन
- शुरू हुआ उजियाला होना / हरिवंशराय बच्चन
- आ रही रवि की सवारी / हरिवंशराय बच्चन
- अब घन-गर्जन-गान कहाँ हैं / हरिवंशराय बच्चन
- भीगी रात विदा अब होती / हरिवंशराय बच्चन
- मैं कल रात नहीं रोया था / हरिवंशराय बच्चन
- मैं उसे फिर पा गया था / हरिवंशराय बच्चन
- स्वप्न था मेरा भयंकर / हरिवंशराय बच्चन
- हूँ जैसा तुमने कर डाला / हरिवंशराय बच्चन
- मैं गाता, शून्य सुना करता / हरिवंशराय बच्चन
- मधुप, नहीं अब मधुवन तेरा / हरिवंशराय बच्चन
- आओ, हम पथ से हट जाएँ / हरिवंशराय बच्चन
- क्या कंकड़-पत्थर चुन लाऊँ? / हरिवंशराय बच्चन
- किस कर में यह वीणा धर दूँ? / हरिवंशराय बच्चन
- फिर भी जीवन की अभिलाषा / हरिवंशराय बच्चन
- जग ने तुझे निराश किया / हरिवंशराय बच्चन
- सचमुच तेरी बड़ी निराशा / हरिवंशराय बच्चन
- क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं / हरिवंशराय बच्चन
- मूल्य अब मैं दे चुका हूँ / हरिवंशराय बच्चन
- तू क्यों बैठ गया है पथ पर? / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, सब कुछ सहना होगा / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, साथ न देगा दुख भी / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, हमें अलग होना है / हरिवंशराय बच्चन
- जय हो, हे संसार तुम्हारी / हरिवंशराय बच्चन
- जाओ कल्पित साथी मन के / हरिवंशराय बच्चन
- विश्व को उपहार मेरा / हरिवंशराय बच्चन