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वेरा, उन सपनों की कथा कहो! / आलोक श्रीवास्तव-२

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वेरा, उन सपनों की कथा कहो
Vera un sapno ki katha kaho.jpg
रचनाकार आलोक श्रीवास्तव-२
प्रकाशक संवाद प्रकाशन
वर्ष
भाषा
विषय
विधा
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

और तब मैत्रेयी ने कहा

यह कैसा चैत आया है इस बार!

तुम्हारे मन के भी परे...

कोई न जाने कब तुम्हारे सिरहाने वसंत रख आता है!