गुलदस्ता

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| रचनाकार | पल्लवी मिश्रा | 
|---|---|
| प्रकाशक | आलोकपर्व प्रकाशन, रोहतास नगर (पूर्व), शाहदरा, दिल्ली - 110032 | 
| वर्ष | |
| भाषा | हिन्दी | 
| विषय | |
| विधा | ग़ज़ल | 
| पृष्ठ | |
| ISBN | |
| विविध | 
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- हम हमीर हैं न ग़लिब और न जफ़र, इकबाल / पल्लवी मिश्रा
 - मुस्कुराहट की छवि आईने में देख सकते हैं हम / पल्लवी मिश्रा
 - वो मौत के आकर करीब यह सोच-सोच पछताया है / पल्लवी मिश्रा
 - अब कहाँ होती हैं जुल्फ ओ रुखसार की बातें / पल्लवी मिश्रा
 - देख तुम्हारा वतन ओ बापू किस हद तक बर्बाद हुआ है / पल्लवी मिश्रा
 - चैन-ओ-सुकूँ गँवा दे, दौलत न ऐसी देना / पल्लवी मिश्रा
 - गुमनामी बेहतर है यारों बद से और बदनामी / पल्लवी मिश्रा
 - ज़मीं सुलगती रही, आसमाँ जलता रहा / पल्लवी मिश्रा
 - आज के माहौल में जीना नहीं आसान है / पल्लवी मिश्रा
 - ख़्वाहिशों की फेहरिस्त जब कभी बनाना तुम / पल्लवी मिश्रा
 - टुकड़ों में बँटी ज़िन्दगी हर शख़्स जी रहा है / पल्लवी मिश्रा
 - दौर-ए-मसरूफियत में ये क्या हो गया? / पल्लवी मिश्रा
 - खुद ही ख़ातिर जीते सभी हैं औरों पे मरना सीखिए / पल्लवी मिश्रा
 - घरों के बंद दरीचे अगर खुले होंगे / पल्लवी मिश्रा
 - चलना सीखा ही है अभी, कैसे वह सँभल पाएगा / पल्लवी मिश्रा
 - अजनबी लगती है कभी पहचानी लगती है / पल्लवी मिश्रा
 - जीवन क्या है, वक्त की आपाधापी और रिश्तों का ताना बाना है / पल्लवी मिश्रा
 - झूठ कहकर हर गली से गुजर जाओगे / पल्लवी मिश्रा
 - मैयत जो मेरी निकले तुम काँधा लगा देना / पल्लवी मिश्रा
 - ऐसा है उनके वादों पर ऐतबार करना / पल्लवी मिश्रा
 - मेरे लफ़्ज़ों को जो अक्सर तोलते हैं / पल्लवी मिश्रा
 - सिक्कों से तोलते हैं क्यूँ हर खुशी को आप? / पल्लवी मिश्रा
 - गमों से बोझिल ये दिल है, मुस्कुराएँ तो कैसे? / पल्लवी मिश्रा
 - जब आँखों में नहीं आँसू, बिन बात को रोना क्या? / पल्लवी मिश्रा
 - मजबूरी सी इधर भी है, मजबूरी सी उधर भी है / पल्लवी मिश्रा
 - मुद्दत हुए हैं आपको हमको मिले हुए / पल्लवी मिश्रा
 - हमसफर तो मिला पर सफर तन्हा है / पल्लवी मिश्रा
 - आज फिर दिल में बहुत उदासी है / पल्लवी मिश्रा
 - काग़ज़ को कलम छुए हुए, एक ज़माना गुज़र गया / पल्लवी मिश्रा
 - मंजिल अलग अलग हैं रास्ते जुदा हैं / पल्लवी मिश्रा
 - तेरी चाहत मुझे तुम तक खींच कर ले तो आई है / पल्लवी मिश्रा
 - दर्द चाहे दीजिए / पल्लवी मिश्रा
 - बहाने नये रोज वो कर रहा है / पल्लवी मिश्रा
 - ज़िंदगी तुझसे शिकवा नहीं शिकायत भी नहीं / पल्लवी मिश्रा
 - सलीब-ए-उल्फत उठा रहे हैं / पल्लवी मिश्रा
 - खुशियों को सँजोकर रखना, गम में न ये बदल जाएँ / पल्लवी मिश्रा
 - मसीहा निकले न भगवान निकले / पल्लवी मिश्रा
 - लीजिए हैं सुनाते ग़ज़ल आपको / पल्लवी मिश्रा
 - सितम पर सितम यूँ न ढाइए हुजूर / पल्लवी मिश्रा
 - हमें तुम अगर यूँ सताते नहीं / पल्लवी मिश्रा
 - कितना भोला, कितना नादां, ये मेरा दिल है / पल्लवी मिश्रा
 - मुझे याद करने की फुरसत नहीं / पल्लवी मिश्रा
 - जब तुम नहीं थे ज़िंदगी में ये निराली बात कहाँ थी? / पल्लवी मिश्रा
 - चाँदनी आग बरसाने लगी है। / पल्लवी मिश्रा
 - हँसने को वो कहेंगे तो मुस्कुरा लेंगे। / पल्लवी मिश्रा
 - चाहे जब हो जाएँ खफा वो, उनको तो ये हक मिला है / पल्लवी मिश्रा
 - मुहब्बत में इतना सताया है तुमने। / पल्लवी मिश्रा
 - रिश्तों को हम शायद दूर तलक निभा लेंगे / पल्लवी मिश्रा
 - क्या कीजिए उनसे शिकायत? / पल्लवी मिश्रा
 - ठहरे हुए पानी में फेंककर पत्थर / पल्लवी मिश्रा
 - उम्मीद-ए-वफा हम किससे करें, हर शख्स यहाँ पराया है / पल्लवी मिश्रा
 - किस शिखर को चूमने कदम बढ़ाए जा रहा है? / पल्लवी मिश्रा
 - नफरतों का बोझ दिलपर कब तलक उठाओगे? / पल्लवी मिश्रा
 - ज़िन्दगी के गमों का किया जब हिसाब / पल्लवी मिश्रा
 - सदियों से बेटियों को सताया गया है / पल्लवी मिश्रा
 - हर आरंभ का अंत सुनिश्चित, हर अंत नई शुरुआत है / पल्लवी मिश्रा
 - कल जिन हाथों में हमने सुर्ख चूड़ियों को खनकते देखा / पल्लवी मिश्रा
 - ज़िन्दगी में नया इक मुकाम आ गया / पल्लवी मिश्रा
 - जीवन की पहेली को सुलझाना आसान नहीं होता। / पल्लवी मिश्रा
 - ज़िन्दगी फिर से मुझे रास आने लगी है / पल्लवी मिश्रा