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"रियाज़ ख़ैराबादी" के अवतरणों में अंतर
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15:26, 12 दिसम्बर 2014 का अवतरण
रियाज़ ख़ैराबादी
जन्म | 1853 |
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निधन | 1934 |
जन्म स्थान | खैराबाद |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
रियाज़—ए—रिज़वान | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
रियाज़ ख़ैराबादी / परिचय |
ग़ज़लें
- आईना देखते ही वो दीवाना हो गया / रियाज़ ख़ैराबादी
- कल क़यामत है क़यामत के सिवा क्या होगा / रियाज़ ख़ैराबादी
- कोई मुँह चूम लेगा इस नहीं पर / रियाज़ ख़ैराबादी
- जफ़ा में नाम निकालो न आसमाँ की तरह / रियाज़ ख़ैराबादी
- जी उठे हश्र में फिर जी से गुज़रने वाले / रियाज़ ख़ैराबादी
- जो हम आए तो बोतल क्यूँ अलग पीर-ए-मुग़ाँ रख दी / रियाज़ ख़ैराबादी
- दर्द हो तो दवा करे कोई / रियाज़ ख़ैराबादी
- दिल-जलों से दिल-लगी अच्छी नहीं / रियाज़ ख़ैराबादी
- नाज़ुक हैं नज़ाकत का बयाँ हो नहीं सकता / रियाज़ ख़ैराबादी
- पी ली हम ने शराब पी ली / रियाज़ ख़ैराबादी
- बन बन के वो आईना ज़रा देख रहे हैं / रियाज़ ख़ैराबादी
- बाम पर आए कितनी शान से आज / रियाज़ ख़ैराबादी
- मकाँ देखे मकीं देखे ला-मकाँ देखा / रियाज़ ख़ैराबादी
- मुझ को लेना है तिरे रंग-ए-हिना का बोसा / रियाज़ ख़ैराबादी
- ये काफ़िर बुत जिन्हें दावा है दुनिया में ख़ुदाई का / रियाज़ ख़ैराबादी
- ये ज़ौक़-ए-अदब मस्त-ए-मय-ए-होश-रूबा का / रियाज़ ख़ैराबादी
- वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता / रियाज़ ख़ैराबादी
- वो पूछते हैं शौक़ तुझे है विसाल का / रियाज़ ख़ैराबादी
- शराब-ए-नाब से साक़ी जो हम वज़ू करते / रियाज़ ख़ैराबादी
- सलामत मय-कदा या रब सलामत पीर-ए-मय-ख़ाना / रियाज़ ख़ैराबादी