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13:55, 13 दिसम्बर 2015 का अवतरण
कुमार रवींद्र
जन्म | 10 जून 1940 |
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जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
आहत हैं वन, चेहरों के अन्तरीप,पंख बिखरे रेत पर, सुनो तथागत, हमने संधियाँ कीं (सभी नवगीत-संग्रह), लौटा दो पगडंडियाँ (कविता-संग्रह), दी सैप इज स्टिल ग्रीन (अंग्रेज़ी में प्रकाशित कविता-संग्रह), एक और कौन्तेय, गाथा आहत संकल्पों की, अंगुलिमाल, कटे अंगूठे का पर्व,कहियत भिन्न न भिन्न (सभी काव्य-नाटक) | |
विविध | |
हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग, उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान तथा हरियाणा साहित्य अकादमी के सम्मानों सहित दर्जनों सम्मान और पुरस्कार। | |
जीवन परिचय | |
कुमार रवींद्र / परिचय |
कविता संग्रह
- लौटा दो पगडंडियाँ / कुमार रवीन्द्र (कविता-संग्रह)
- कहियत भिन्न न भिन्न / कुमार रवींद्र (काव्य नाटिका)
- कटे अँगूठे का पर्व / कुमार रवींद्र (काव्य नाटिका)
- आहत हैं वन / कुमार रवींद्र (नवगीत-संग्रह)
- और...हमने सन्धियाँ कीं / कुमार रवींद्र (नवगीत-संग्रह)
- रखो खुला यह द्वार / कुमार रवींद्र (नवगीत संग्रह)
- चेहरों के अन्तरीप / कुमार रवीन्द्र (नवगीत संग्रह)
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- कुछ सुख बचे हैं / कुमार रवींद्र
- बक्सों में यादें / कुमार रवींद्र
- और नपुंसक हुई हवाएं / कुमार रवींद्र
- घोड़े ही घोड़े हैं / कुमार रवींद्र
- बच्चों की नाव में / कुमार रवींद्र
- नये वक्त की महाकथा यह / कुमार रवींद्र
- ऋतु जलसे की / कुमार रवींद्र
- आगे चल कर / कुमार रवींद्र
- चमत्कारी सुबह यह / कुमार रवींद्र
- बैठी छज्जे पर चिडया / कुमार रवींद्र
- पीपल का पात हिला / कुमार रवींद्र
- और...दिन भर / कुमार रवींद्र
- इस गली के आख़िर में / कुमार रवींद्र
- खोज-खोज हारे हम / कुमार रवींद्र
- अपराधी देव हुए / कुमार रवींद्र
- गीत तुम्हारा / कुमार रवींद्र
- ज़रा सुनो तो / कुमार रवींद्र
- बहुत पहले / कुमार रवींद्र
- मेघ सेज पर / कुमार रवींद्र
- बरगद ठूँठ हुआ / कुमार रवींद्र
- टेसू के फूलों वाले दिन / कुमार रवींद्र
- वानप्रस्थी ये हवाएँ / कुमार रवींद्र
- शपथ तुम्हारी / कुमार रवींद्र
- संतूर बजा / कुमार रवींद्र
- सुनो सागर / कुमार रवींद्र
- हम नए हैं / कुमार रवींद्र
- हाँ सुकन्या / कुमार रवींद्र
- दिन वसंत के / कुमार रवींद्र
- कहो गीतों से / कुमार रवींद्र
- मन का दीपक / कुमार रवींद्र
- धूप-बीज बोये थे / कुमार रवींद्र
- गीत-मन्त्र / कुमार रवींद्र
- सिकुड़ गए दिन / कुमार रवींद्र
- कोहरा है मैदान में / कुमार रवींद्र
- सब कुछ डूबा है कोहरे में / कुमार रवींद्र
- दिन ठंडा है / कुमार रवींद्र
- शांत जंगल है / कुमार रवींद्र
- रात-भर हम / कुमार रवींद्र
- दस्तकें हैं दे रहीं भीगी हवाएँ / कुमार रवींद्र