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"परमानन्द शर्मा 'शरर'" के अवतरणों में अंतर
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परमानन्द शर्मा 'शरर'
www.kavitakosh.org/pssharar
www.kavitakosh.org/pssharar
जन्म | 17 नवम्बर 1923 |
---|---|
उपनाम | 'शरर' जालन्धरी |
जन्म स्थान | घोरियाल,शाम चौरासी ज़िला जालन्धर, पंजाब |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
छत्रपति (वीर-रस प्रधान महाकाव्य),वैरागी(बन्दा बहादुर पर प्रबन्ध काव्य);मिट्टी का दिया (लालबहादुर शास्त्री
पर महाकाव्य);एकला चलो रे(बँगलादेश युद्ध पर महाकाव्य); पोरस(खण्ड-काव्य) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
परमानन्द शर्मा 'शरर' / परिचय | |
कविता कोश पता | |
www.kavitakosh.org/pssharar |
ग़ज़लें
- अजब टीस है उस मुलाक़ात की / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- नक़्श तो हूँ मैं नक़्शे-पा ही सही / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- सब्र के एक दो थे जज़ीरे बचे / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- दिल है जैसे काँच की चूड़ी / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- यह पत्थरों का शहर है पत्थर के लोग हैं / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- दिल कि है तिशनगी से तरसा है / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- जब तुम नज़र न आए दुनिया बनी वीराना / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- बहुत सुनसान दिन हैं और बहुत वीरान रातें हैं / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- क्या उन से आँख लड़ा बैठे / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- एक सपना था ख़्वाब थे वो दिन / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- नफ़स बेताब होता जा रहा है/ परमानन्द शर्मा 'शरर'
- शीशा-ए-दिल को जाम होने दो / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- हमारा ज़िक्र और उनकी ज़ुबाँ तक/ परमानन्द शर्मा 'शरर'
- ज़िन्दगी थी सुराब हो के रही / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- तुम्हारे तालिबे-दीदार हम भी हैं ज़रा सोचो / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- पी-पी के सुबह-शाम जिसे जी रहे हैं हम / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- ज़िन्दगी में जो इक ख़ुशी -सी थी / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- हम उस शोख़ के सौदाई हैं यह तो हमारी मर्ज़ी है / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- बदगुमाँ हम से हो गया कोई / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- दर्द कम हो रहा है सीने में / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- किसी को दे के दिल हमने मुहब्बत का मज़ा पाया / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- उनकी महफ़िल में एक उनके सिवा / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- वो जो दम दोस्ती का भरते थे / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- औरों से क्यों कहो तुम गर मुझसे बदगुमाँ हो / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- मश्श:ले रात एक काफ़ी है / परमानन्द शर्मा 'शरर'
- ज़िन्दगानी सुराब मरीचिका हो के रही/ परमानन्द शर्मा 'शरर'
- हमारा ज़िक्र और उनकी ज़बाँ तक / परमानन्द शर्मा 'शरर'