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"पुरानी बयाज़ से / कांतिमोहन 'सोज़'" के अवतरणों में अंतर
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+ | * [[ये ख़ता बार-बार करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़']] |
13:43, 2 मार्च 2015 का अवतरण
पुरानी बयाज़ से
रचनाकार | कांतिमोहन 'सोज़' |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़लें और गीत |
विधा | |
पृष्ठ | 100 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- बात तो थी मगर न थे अल्फ़ाज़ / कांतिमोहन 'सोज़'
- है फ़िक्र अब कि तेरी आरज़ू करें न करें / कांतिमोहन 'सोज़'
- या तो हर एक बशर के लिए मय हराम हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- चलके लुट जाएँ ग़मे-सूदो-ज़ियां के पहले / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी किसकी समझ में आया है / कांतिमोहन 'सोज़'
- मैं जानता हूं इधर से तेरा गुज़र भी नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- करें किस बात का शिकवा भला उससे गिला कैसा / कांतिमोहन 'सोज़'
- लो फिर से जुनूं दिल को सदा देने लगा है / कांतिमोहन 'सोज़'
- तुझसे मायूस तो हो जाऊँ कहाँ जाऊँ मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये भी अपना क़ुसूर है यारो / कांतिमोहन 'सोज़'
- सर उठाने की कोई बात तो हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- अपना वुजूद बाइसे-तूफ़ां हुआ तो है / कांतिमोहन 'सोज़'
- वफ़ा का किसको मिला क्या सिला हुआ सो हुआ / कांतिमोहन 'सोज़'
- दीवाना कहके कोई मुझे छेड़ता नहीं / कांतिमोहन 'सोज़'
- कभी मुझ पर कभी हालात पे हँस देते हो / कांतिमोहन 'सोज़'
- एक दिन मेरी मान लो यूँही / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये सितम दिल पे यार करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
- जो हादिसा गुज़रा है वो अफ़साना लगे है / कांतिमोहन 'सोज़'
- हमारे भाग में सहबा बदा नहीं न सही / कांतिमोहन 'सोज़'
- ये ख़ता बार-बार करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'