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शोरे-तन्हाई / रमेश तन्हा
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शोरे-तन्हाई
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रचनाकार | रमेश तन्हा |
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ग़ज़लें
- क्या किसी और को अहवाल सुनाऊँ तेरा / रमेश तन्हा
- ज़मीन-दोज़ जो करता है सब दफीनों को / रमेश तन्हा
- हसीन ख़्वाब की थी ताब-ओ ताज़गी मेरी / रमेश तन्हा
- गो मेरी ज़िन्दगी का ये चौथा पड़ाओ है / रमेश तन्हा
- मुझको रुसवा न करो शहर के बाज़ारों में / रमेश तन्हा
- तरफ तरफ वही सितम-ज़रीफ़ आइना तो है / रमेश तन्हा
- तुम्हारे आने से मंज़र का यूँ बदल जाना / रमेश तन्हा
- तहवीले-अनासिर में आवारा हवा भी है / रमेश तन्हा
- हवस ही रखती है हर आदमी को ज़िंदा भी / रमेश तन्हा
- कभी दूसरों ने डरा दिया कभी अपने आप से डर गया / रमेश तन्हा
- बेघरी है, बे-ज़री है, नातवानी और है / रमेश तन्हा
- यूँ तो इस दहर में, कब कोई करिश्मा न हुआ / रमेश तन्हा
- है फ़ना का सन्नाटा, तीरगी के घेरों में / रमेश तन्हा
- यूँ तो बस कुछ ठीक ही लगता है लेकिन इक कमी है / रमेश तन्हा
- मेरे अपना आप होने में ही मेरी ज़िन्दगी है / रमेश तन्हा
- मैं शेर कहता हूँ तो इंक़लाब बोलता है / रमेश तन्हा
- मानने को तो मानते हैं सब / रमेश तन्हा
- दर्द की कौंद का दिल में मिरे पिंहाँ होना / रमेश तन्हा
- कहां चला गया वो राज़दार कश्ती का / रमेश तन्हा