Last modified on 6 अप्रैल 2011, at 22:31

श्रेणी:प्रेम

Keshvendra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:31, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: '''क्या कभी साहिर को भूली अमृता''' जिन्दगी में आ गयी है रिक्तता | मन …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

क्या कभी साहिर को भूली अमृता


जिन्दगी में आ गयी है रिक्तता |

मन में फैली कैसी है ये तिक्तता ||


प्रेम में इस कदर अँधा हो गया |

दुनिया से है हो गयी अनभिज्ञता ||


जी रहा हूँ अतीत में मैं इस कदर |

की देखता हूँ भविष्य, दिखती शून्यता ||


शिथिल तन में मन हुआ है बदहवास |

खुशमिजाजी में हुई है न्यूनता ||


एक दोराहे पे आ ठिठका खड़ा हूँ |

एक तरफ है प्रेम दूजे पूर्णता ||


जिन्दगी में आ गया इमरोज, फिर भी |

क्या कभी साहिर को भूली अमृता?

(Thursday, July 15, 2010)

यह कविता स्वरचित है. केशवेंद्र

"प्रेम" श्रेणी में पृष्ठ

इस श्रेणी में निम्नलिखित 105 पृष्ठ हैं, कुल पृष्ठ 105

?

ब आगे.