चराग़े-दिल
रचनाकार | देवी नांगरानी |
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प्रकाशक | सरला प्रकाशन,1586/1 ई नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 144 |
ISBN | 81-88911-36-4 |
विविध |
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- कितने पिये है दर्द के / देवी नांगरानी
- दीवारो-दर थे, छत थी वो अच्छा मकान था / देवी नांगरानी
- देखकर मौसमों का असर रो दिए / देवी नांगरानी
- उड़ गए बालो-पर उड़ानों में / देवी नांगरानी
- आंधियों के भी पर कतरते हैं / देवी नांगरानी
- ताज़गी कुछ नही हवाओं में / देवी नांगरानी
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं / देवी नांगरानी
- डर उसे फिर न रात का होगा / देवी नांगरानी
- आज हम धूप खाने आए हैं / देवी नागरानी
- लबों पर गिले यूं भी आते रहे हैं / देवी नागरानी
- तारों का नूर लेकर ये रात ढल रही ह / देवी नागरानी
- रब्बा, मेरे नसीब में ऐसी बहार दे / देवी नागरानी
- बाकी न तेरी याद की परछाइयां रहीं / देवी नागरानी
- मोती कभी पलकों से गिराए नहीं हमने... / देवी नांगरानी
- झूठ की बस्तियों में रहती हूँ / देवी नागरानी
- झूठ सच के बयान में रक्खा / देवी नागरानी
- कोई और था फिर भी / देवी नागरानी
- गर्दिशों ने बहुत सताया है / देवी नागरानी
- दर्द बनकर समा गया दिल में / देवी नागरानी
- छीन ली मुझसे मौसम ने आज़ादियाँ / देवी नागरानी
- चराग़ों ने अपने ही घर को जलाया / देवी नांगरानी
- सिसकियों में हों पल रहे जैसे / देवी नागरानी
- तुझको अपना खुदा बनाया है / देवी नागरानी
- हम दिलों में निवास करते हैं / देवी नागरानी
- उदासी में डूब जाता है / देवी नागरानी
- ग़म का पैग़ाम बादे-सबा दे गई / देवी नागरानी
- चोट ताज़ा कभी जो खाते हैं / देवी नांगरानी
- याद मुझे है अब तक / देवी नागरानी
- ठहराव जिंदगी में दुबारा नहीं मिला / देवी नागरानी
- रूठा वो बे सबब न था मुझसे / देवी नागरानी
- अंधेरी गली में मेरा घर रहा है / देवी नागरानी
- करम ख़ुदा का है सब पर / देवी नागरानी
- बताऊँ तुम्हें क्या है दिल का लगाना / देवी नागरानी
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब / देवी नागरानी
- यही रौशनी है, यही रौशनी है / देवी नागरानी
- कोई षडयंत्र रच रहा है क्या / देवी नागरानी
- तर्क कर के दोस्ती फिरता है क्यों? / देवी नागरानी
- कितने आफ़ात से लड़ी हूँ मैं / देवी नागरानी
- सर पटकते हैं आशियानों में / देवी नांगरानी