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केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'
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केदारनाथ मिश्र
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जन्म | 11 सितम्बर 1907 |
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निधन | 2 अप्रैल 1984 |
उपनाम | प्रभात |
जन्म स्थान | ग्राम आरा, बिहार |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
गीत-संग्रह - शुभ्रा, श्वेत नील, कलापिनी, कम्पन, ॠतम्भरा, बैठो मेरे पास। कैकेयी, तप्त गृह, कर्ण इनके प्रबंध-काव्य हैं। | |
विविध | |
अंतिम दो संग्रह बिहार तथा उ.प्र. सरकार द्वारा पुरस्कृत हुए। | |
जीवन परिचय | |
केदारनाथ मिश्र 'प्रभात' / परिचय |
कविताएँ
- देवता की याचना / केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'
- सुनो हुआ वह शंख-निनाद / केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'
- नीरव त्योहार / केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'
- मेरे मन! तू दीपक-सा जल / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- इस समाधि की राखों में / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- मत पूछो हे देव! / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- जीवन का सर्वस्व / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- आज भूलने दो अतीत को / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- ज्वाला में जल जाना ही / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- कवि बैठा है हो लाचार / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- आंसू इसकी भाषा है / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- करुणा की छाया न करो / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- मांगी तुझसे शांति / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- सूखी डालों का इतिहास / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- इस अशांत उर में / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- ऐ अतीत की घड़ियां / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- तेरा-मेरा परिचय है / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- स्वर भर दो आज विश्व की वीणा / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- प्रथम प्रेम का मधुर विहान / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- ज्वालाओं में मुझे फेंक तू / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- तेरी करुणा रोती / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- जीवन कितना सुंदर है / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- एक क्षण तुम रुको / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- मरण के भाल पर मैं छंद गढ़ता / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- देवता की याचना / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- तुम्हारी हंसी से धुली घाटियों में / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- बहुत बार इस धार पर / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- विसर्जन / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- राग चले साथ राग के / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- फिर निमंत्रण सिंधु का आया / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- तरलायित / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- जीवन न बने क्यों बंधहीन / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- निर्गुण के दृग आज सजल क्यों / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- यह दीपक बुझ जाने वाला / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- तुम सागर हो, मैं ज्वार तुम्हें दूंगा / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- उसमें देखा शृंगार एक / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- राह में क्षण सृजन का कहीं है पड़ा / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- आज किसी की लय पुकारती / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- यह मेरी आंखों का सावन / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- भुजंगों से घिरी हूं, मैं नियति हूं / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- मुरझाता हूं मुस्काने से / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- उमंग / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- शब्द के अर्थ ने द्वार खोला नहीं / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- मनुष्य / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- नींद की मछलियां खेलतीं धार पर / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- ज्योति को दुख ने किया पावन / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- हिमालय / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- मेरे मन का भार / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- एक गीत हर दग्ध हृदय में / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- आश्वस्त / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- कैकेयी / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’
- तप्तगृह / केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’