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उतना ही हरा भरा / वीरा

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उतना ही हरा भरा
रचनाकार वीरा
प्रकाशक शिल्पायन, दिल्ली
वर्ष 2004
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 92
ISBN 81-87302-56-9
विविध
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सुबह की ओस उन पर भी

दो कद्दावर मस्तक क्षितिज में जा मुस्कुराए

बच्चा हवाई जहाज देखता है

वह छू रहा है रोंयेदार कोमल सफ़ेद स्पर्श से