भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"घर अकेला हो गया / मुनव्वर राना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
छो
 
पंक्ति 46: पंक्ति 46:
 
* [[जब कभी धूप की शिद्दत ने सताया मुझको / मुनव्वर राना]]
 
* [[जब कभी धूप की शिद्दत ने सताया मुझको / मुनव्वर राना]]
 
* [[इश्क़ में राय बुज़ुर्गों से नही ली जाती / मुनव्वर राना]]  
 
* [[इश्क़ में राय बुज़ुर्गों से नही ली जाती / मुनव्वर राना]]  
* [[बाज़ारी पेटी कोट की सूरत हूँ इन दिनों / मुनव्वर राना]]  
+
* [[बाज़ारी पेटीकोट की सूरत हूँ इन दिनों / मुनव्वर राना]]  
 
* [[हमारी बेबसी देखो उन्हें हमदर्द कहते हैं / मुनव्वर राना]]  
 
* [[हमारी बेबसी देखो उन्हें हमदर्द कहते हैं / मुनव्वर राना]]  
 
* [[मियाँ रुसवाई दौलत के तआवुन से नहीं जाती / मुनव्वर राना]]
 
* [[मियाँ रुसवाई दौलत के तआवुन से नहीं जाती / मुनव्वर राना]]

20:40, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

घर अकेला हो गया
Ghar akelaa ho gayaa.jpg
रचनाकार मुनव्वर राना
प्रकाशक वाणी प्रकाशन,

21- ए , दरिया गंज नई दिल्ली 110002

वर्ष 2008
भाषा हिन्दी
विषय
विधा ग़ज़ल
पृष्ठ 136
ISBN 978-81-8143-978-9
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।