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(भारतेन्दु 'रसा' की ग़ज़लें)
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* चाह जिसकी थी वही यूसुफ़े सानी निकला / भारतेंदु हरिश्चंद्र
 
* चाह जिसकी थी वही यूसुफ़े सानी निकला / भारतेंदु हरिश्चंद्र
 
* बख्त ने फिर मुझे इस साल दिखाई होली / भारतेंदु हरिश्चंद्र
 
* बख्त ने फिर मुझे इस साल दिखाई होली / भारतेंदु हरिश्चंद्र
* रहमत को तेरे उम्मीदवार आया हूँ / भारतेंदु हरिश्चंद्र
 
 
* चम्पई गरचे दुपट्टा है तो गुलदार है बेल / भारतेंदु हरिश्चंद्र
 
* चम्पई गरचे दुपट्टा है तो गुलदार है बेल / भारतेंदु हरिश्चंद्र
 
* अल्ला रे लुल्फ़े ज़बह की कहता हूँ बार-बार / भारतेंदु हरिश्चंद्र
 
* अल्ला रे लुल्फ़े ज़बह की कहता हूँ बार-बार / भारतेंदु हरिश्चंद्र

13:49, 28 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

भारतेंदु हरिश्चंद्र
www.kavitakosh.org/bhartendu
Bhartendu.jpg
जन्म 09 सितम्बर 1850
निधन 06 जनवरी 1885
उपनाम ग़ज़लें कहते हुए ’रसा’ उपनाम लिखते थे
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
भक्तसर्वस्व (1870), प्रेममालिका (1871), प्रेम-माधुरी (1875), प्रेम-तरंग (1877), उत्तरार्द्ध-भक्तमाल (1876-77), प्रेम-प्रलाप (1877), गीत-गोविंदानंद (1877-78), होली (1879), मधु-मुकुल (1881), राग-संग्रह (1880), वर्षा-विनोद (1880), फूलों का गुच्छा (1882), प्रेम-फुलवारी (1883), कृष्ण-चरित्र (1883)
विविध
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भारतेंदु हरिश्चंद्र / परिचय
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