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"श्रीमदभगवदगीता / मृदुल कीर्ति" के अवतरणों में अंतर

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* [[अध्याय १७ / भाग १ / श्रीमदभगवदगीता / मृदुल कीर्ति]]
 
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* [[अध्याय १८ / भाग २ / श्रीमदभगवदगीता / मृदुल कीर्ति]]
 
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श्रीमदभगवदगीता (ब्रजभाषा में काव्यानुवाद)
Bhagawadgita braj.JPG
रचनाकार मृदुल कीर्ति
प्रकाशक दयानंद संस्थान, 2286, आर्य समाज रोड, करोलबाग, नई दिल्ली - 110005
वर्ष मई 2001
भाषा ब्रजभाषा
विषय श्रीमदभगवदगीता का ब्रजभाषा में काव्यानुवाद
विधा सवैया
पृष्ठ 242
ISBN
विविध
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समर्पण
वासुदेवमयी सृष्टि की
उस सत्ता को
जिसने जीवन की
चिलचिलाती धूप में
छाँव बन कर ठाँव दी।
--मृदुल कीर्ति

विनय
श्याम! नै वेणु बजाई घनी,
शंख 'पाञ्चजन्य' गुंजाय करे।
अब आनि बसौ मोरी लेखनी में
ब्रज भाषा में गीता सुनाऔ हरे।