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* '''[[श्रीकृष्णबाल माधुरी / सूरदास]]''' | * '''[[श्रीकृष्णबाल माधुरी / सूरदास]]''' | ||
* '''[[सूर सुखसागर / सूरदास]]''' | * '''[[सूर सुखसागर / सूरदास]]''' |
14:24, 26 जून 2013 का अवतरण
सूरदास
जन्म | 1483 |
---|---|
निधन | 1573 |
जन्म स्थान | ग्राम सिही, फ़रीदाबाद, हरियाणा, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
"सूरसागर" सूरदास की सभी ज्ञात रचनाओं का संकलन है जिसमें इनकी लगभग 5000 रचनाएँ संकलित हैं। | |
जीवन परिचय | |
सूरदास / परिचय |
- श्रीकृष्णबाल माधुरी / सूरदास
- सूर सुखसागर / सूरदास
- भजन / सूरदास (सूरदास जी के भजनों का संकलन)
<sort order="asc" class="ul">
- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावे / सूरदास
- प्रीति करि काहु सुख न लह्यो / सूरदास
- भाव भगति है जाकें
- सूरदास के पद
- भोरहि सहचरि कातर दिठि/ सूरदास
- ऊधौ, कर्मन की गति न्यारी/ सूरदास
- निसिदिन बरसत नैन हमारे। / सूरदास
- चरन कमल बंदौ हरिराई / सूरदास
- तिहारो दरस मोहे भावे / सूरदास
- दृढ इन चरण कैरो भरोसो / सूरदास
- मधुकर! स्याम हमारे चोर / सूरदास
- अंखियां हरि–दरसन की प्यासी / सूरदास
- बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं / सूरदास
- प्रीति करि काहू सुख न लह्यो / सूरदास
- चरन कमल बंदौ हरि राई / सूरदास
- अबिगत गति कछु कहति न आवै / सूरदास
- प्रभु, मेरे औगुन न विचारौ / सूरदास
- प्रभु, हौं सब पतितन कौ राजा / सूरदास
- अब कै माधव, मोहिं उधारि / सूरदास
- मोहिं प्रभु, तुमसों होड़ परी / सूरदास
- अब हों नाच्यौ बहुत गोपाल / सूरदास
- कब तुम मोसो पतित उधारो / सूरदास
- अपन जान मैं बहुत करी / सूरदास
- आछो गात अकारथ गार्यो / सूरदास
- सोइ रसना जो हरिगुन गावै / सूरदास
- माधवजू, जो जन तैं बिगरै / सूरदास
- कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज / सूरदास
- सरन गये को को न उबार्यो / सूरदास
- जौलौ सत्य स्वरूप न सूझत / सूरदास
- तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान / सूरदास
- धोखैं ही धोखैं डहकायौ / सूरदास
- कहावत ऐसे दानी दानि / सूरदास
- मेरो मन अनत कहां सचु पावै / सूरदास
- प्रभु, मेरे औगुन चित न धरौ / सूरदास
- है हरि नाम कौ आधार / सूरदास
- रे मन, राम सों करि हेत / सूरदास
- मो सम कौन कुटिल खल कामी / सूरदास
- जापर दीनानाथ ढरै / सूरदास
- मन तोसों कोटिक बार कहीं / सूरदास
- भजु मन चरन संकट-हरन / सूरदास
- खेलत नंद-आंगन गोविन्द / सूरदास
- मेरी माई, हठी बालगोबिन्दा / सूरदास
- जसोदा, तेरो भलो हियो है माई / सूरदास
- आई छाक बुलाये स्याम / सूरदास
- जसुमति दौरि लिये हरि कनियां / सूरदास
- जौ बिधिना अपबस करि पाऊं / सूरदास
- नैन भये बोहित के काग / सूरदास
- नटवर वेष काछे स्याम / सूरदास
- वृच्छन से मत ले / सूरदास
- मुरली गति बिपरीत कराई / सूरदास
- संदेसो दैवकी सों कहियौ / सूरदास
- मेरो कान्ह कमलदललोचन / सूरदास
- कहियौ, नंद कठोर भये / सूरदास
- नीके रहियौ जसुमति मैया / सूरदास
- जोग ठगौरी ब्रज न बिकहै / सूरदास
- ऊधो, होहु इहां तैं न्यारे / सूरदास
- फिर फिर कहा सिखावत बात / सूरदास
- उधो, मन नाहीं दस बीस / सूरदास
- अंखियां हरि-दरसन की भूखी / सूरदास
- ऊधो, हम लायक सिख दीजै / सूरदास
- ऊधो, मन माने की बात / सूरदास
- निरगुन कौन देश कौ बासी / सूरदास
- कहियौ जसुमति की आसीस / सूरदास
- कहां लौं कहिए ब्रज की बात / सूरदास
- ऊधो, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं / सूरदास
- तबतें बहुरि न कोऊ आयौ / सूरदास
- अब या तनुहिं राखि कहा कीजै / सूरदास
- नाथ, अनाथन की सुधि लीजै / सूरदास
- ऐसैं मोहिं और कौन पहिंचानै / सूरदास
- हरि, तुम क्यों न हमारैं आये / सूरदास
- जो पै हरिहिंन शस्त्र गहाऊं / सूरदास
- मो परतिग्या रहै कि जाउ / सूरदास
- वा पटपीत की फहरानि / सूरदास
- हरि हरि हरि सुमिरन करौ / सूरदास
- रानी तेरो चिरजीयो गोपाल / सूरदास
- मोहन केसे हो तुम दानी / सूरदास
- व्रजमंडल आनंद भयो / सूरदास
- राखी बांधत जसोदा मैया / सूरदास
- व्रजमंडल आनंद भयो / सूरदास
- सकल सुख के कारन / सूरदास
- बृथा सु जन्म गंवैहैं / सूरदास
- मेटि सकै नहिं कोइ / सूरदास
- हम भगतनि के भगत हमारे / सूरदास
- जागिए ब्रजराज कुंवर / सूरदास
- उपमा हरि तनु देखि लजानी / सूरदास
- सबसे ऊँची प्रेम सगाई / सूरदास
- माधव कत तोर करब बड़ाई / सूरदास
- कहां लौं बरनौं सुंदरताई / सूरदास
- बदन मनोहर गात / सूरदास
- हमारे प्रभु, औगुन चित न धरौ / सूरदास
- राखौ लाज मुरारी / सूरदास
- रतन-सौं जनम गँवायौ / सूरदास
- अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल / सूरदास
- जनम अकारथ खोइसि / सूरदास
- रे मन मूरख, जनम गँवायौ / सूरदास
- अजहूँ चेति अचेत / सूरदास
- आनि सँजोग परै / सूरदास
- दियौ अभय पद ठाऊँ / सूरदास
- मन धन-धाम धरे / सूरदास
- आजु हौं एक एक करि टरिहौं / सूरदास
- तजौ मन, हरि-बिमुखनि को संग / सूरदास
- ऎसी प्रीति की बलि जाऊं / सूरदास
- जसोदा हरि पालनैं झुलावै / सूरदास
- सोभित कर नवनीत लिए / सूरदास
- आजु मैं गाई चरावन जैहों / सूरदास
- गिरि जनि गिरै स्याम के कर तैं / सूरदास
- ऊधौ,तुम हो अति बड़भागी / सूरदास
- हमारे हरि हारिल की लकरी / सूरदास
- हरि हैं राजनीति पढि आए / सूरदास
- मन की मन ही माँझ रही / सूरदास
</sort>
भक्तिकालीन रचनाकार | ||
ज्ञानाश्रयी शाखा | कबीर • रैदास • मलूकदास • दादू दयाल • गुरु नानकदेव • सुंदरदास • धनी धरमदास | |
प्रेमाश्रयी शाखा | कुतबन • मंझन • मलिक मोहम्मद जायसी • उसमान • शेख नबी • कासिमशाह • नूर मुहम्मद | |
रामाश्रयी शाखा | तुलसीदास • अग्रदास • प्राणचंद चौहान • हृदयराम | |
कृष्णाश्रयी शाखा | वल्लभाचार्य • अष्टछाप ( सूरदास • कुम्भनदास • परमानंददास • कृष्णदास • छीतस्वामी • गोविन्दस्वामी • चतुर्भुजदास • नंददास ) • हितहरिवंश • गदाधर भट्ट • मीराबाई • हरिदास • सूरदास मदनमोहन • श्रीभट्ट • हरिराम व्यास • रसखान • ध्रुवदास |
|
अन्य कवि | छीहल • लालचदास • कृपाराम • नरहरि बंदीजन • नरोत्तमदास • आलम • टोडरमल • बीरबल • गँग • मनोहर कवि • बलभद्र मिश्र • जमाल • केशवदास • होलराय • रहीम • कादिर • मुबारक • बनारसीदास • सेनापति • पुहकर कवि • सुँदर • लाल कवि | |
अष्टछाप | ||
महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवि, जिन्होंने अपने विभिन्न पदों एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। और अधिक जानें... | ||
अष्टछाप के कवि: सूरदास । नंददास । परमानंददास । कुम्भनदास । चतुर्भुजदास । छीतस्वामी । गोविन्दस्वामी |