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01:45, 30 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
सैयद अली मोहम्मद
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जन्म | 1846 |
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निधन | 1927 |
उपनाम | शाद अज़ीमाबादी |
जन्म स्थान | अज़ीमाबाद, पटना, बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
नग्म-ए-इल्हम, इल्हमत-ए-शाद | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
शाद अज़ीमाबादी / परिचय |
ग़ज़लें
- ढूँढोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं, नायाब हैं हम / शाद अज़ीमाबादी
- तमन्नाओं में उलझाया गया हूं / शाद अज़ीमाबादी
- ऐ शब-ए-ग़म हम हैं और बातें दिल-ए-नाकाम से / शाद अज़ीमाबादी
- कहाँ है उसका कूचा, कौन है वो?.. / शाद अज़ीमाबादी
- वो जिबह करके यह कहते हैं / शाद अज़ीमाबादी
- निकहते-गुल बहुत इतराती हुई फिरती है / शाद अज़ीमाबादी
- सुबू अपना-अपना है, जाम अपना-अपना / शाद अज़ीमाबादी
- जब किसी ने हाल पूछा रो दिया / शाद अज़ीमाबादी
- हम-से सहरागर्द को छोड़ ऐ गुबार / शाद अज़ीमाबादी
- तेरे कमाल की हद कब कोई बशर समझा / शाद अज़ीमाबादी
- वो खुशनिगाह नहीं, जिसमें खुदानुमाई नहीं / शाद अज़ीमाबादी
- मेरी तलाश में मिल जाए तू, तो तू ही नहीं / शाद अज़ीमाबादी
- रुस्वाइयाँ गज़ब की हुईं तेरी राह में / शाद अज़ीमाबादी
- अब इंतिहा का तिरे ज़िक्र में असर आया / शाद अज़ीमाबादी
- अभी भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज़ आया / शाद अज़ीमाबादी
- ऐ बुत जफ़ा से अपनी लिया कर वफ़ा का काम / शाद अज़ीमाबादी
- काबा ओ दैर में जल्वा नहीं यकसाँ उन का / शाद अज़ीमाबादी
- किस पे क़ाबू जो तुझी पे नहीं क़ाबू अपना / शाद अज़ीमाबादी
- किस बुरी साअत से ख़त ले कर गया / शाद अज़ीमाबादी
- कुछ कहे जाता था ग़र्क़ अपने ही अफ़्साने में था / शाद अज़ीमाबादी
- क्या फ़क़त तालिब-ए-दीदार था मूसा तेरा / शाद अज़ीमाबादी
- क्यूँ हो बहाना-जू न क़ज़ा सर से पाँव तक / शाद अज़ीमाबादी
- ग़म-ए-फ़िराक़ मय ओ जाम का ख़याल आया / शाद अज़ीमाबादी
- जिए जाएँगे हम भी लब पे दम जब तक नहीं आता / शाद अज़ीमाबादी
- जिसे पाला था इक मुद्दत तक आग़ोश-ए-तमन्ना में / शाद अज़ीमाबादी
- तमाम उम्र नमक-ख़्वार थे ज़मीं के हम / शाद अज़ीमाबादी
- ता-उम्र आश्ना न हुआ दिल गुनाह का / शाद अज़ीमाबादी
- तेरी ज़ुल्फ़ें ग़ैर अगर सुलझाएगा / शाद अज़ीमाबादी
- था अजल का मैं अजल का हो गया / शाद अज़ीमाबादी
- ना जाँ-बाज़ों का मजमा था न मुश्ताक़ों का मेला था / शाद अज़ीमाबादी
- न दिल अपना न ग़म अपना न कोई ग़म-गुसार अपना / शाद अज़ीमाबादी
- फ़क़त शोर-ए-दिल-ए-पुर आरज़ू था / शाद अज़ीमाबादी
- ये रात भयानक हिज्र की है काटेंगे बड़े आलाम से हम / शाद अज़ीमाबादी
- लुत्फ़ क्या है बे-ख़ुदी का जब मज़ा जाता रहा / शाद अज़ीमाबादी
- सियाहकार सियह-रू ख़ता-शिआर आया / शाद अज़ीमाबादी
- हरगिज़ कभी किसी से न रखना दिला ग़रज़ / शाद अज़ीमाबादी