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− | * [[ | + | * [[चलो माज़ी के अंधियारों में थोड़ी रौशनी कर लें / प्रेमचंद सहजवाला]] |
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− | * [[ | + | * [[तुम्हारे और मेरे बीच फासले तो हैं / प्रेमचंद सहजवाला]] |
− | * [[ | + | * [[एक छोटी बात कोई आ के समझाना मुझे / प्रेमचंद सहजवाला]] |
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− | + | * [[रातों को यह नींद उड़ाती तनहाई / प्रेमचंद सहजवाला]] | |
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− | * [[ | + | * [[सराबों में यकीं के हम को रहबर छोड़ जाते हैं / प्रेमचंद सहजवाला]] |
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प्रेमचंद सहजवाला
जन्म | 18 दिसंबर 1945 |
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जन्म स्थान | सुजावल जिला , सिंध (1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान ) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हिंदी कहानी संग्रह – 1. सदमा (1975) – यूनाईटेड बुक हाऊस. 2. कैसे कैसे मंज़र (1982) – राजधानी प्रकाशन 3. टुकड़े टुकड़े आसमान (1983) – राजधानी प्रकाशन 4. भगत सिंह: इतिहास के कुछ और पन्ने (2010) – अयन प्रकाशन 5. उपन्यास ‘बुद्धू का नौकरीनामा’ नमन प्रकाशन से प्रशानाधीन. | |
विविध | |
दिल्ली की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘परिचय साहित्य परिषद’ द्वारा ‘परिचय सम्मान | |
जीवन परिचय | |
प्रेमचंद सहजवाला / परिचय |
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- कभी सैय्याद के जो खौफ से बाहर नहीं आया / प्रेमचंद सहजवाला
- दीवाने तेरे हुस्न के मारों में खड़े हैं / प्रेमचंद सहजवाला
- सदा दी थी बहारों को / प्रेमचंद सहजवाला
- न हिन्दू की न मुस्लिम की / प्रेमचंद सहजवाला
- किसानों को ज़मींदारों के / प्रेमचंद सहजवाला
- जगमगाते शहृ का हर इक मकाँ ऐवाँ लगा / प्रेमचंद सहजवाला
- हर इक शय किस कदर लगती नई थी / प्रेमचंद सहजवाला
- मकतल पे आ के जां ये फ़िदा कर चुके हैं हम / प्रेमचंद सहजवाला
- अनकही बातों को कहने से मिलेगा भी क्या / प्रेमचंद सहजवाला
- हर सितम तेरा नातवां तक है / प्रेमचंद सहजवाला
- दुनिया में जो भी आए, तारीख़ को बनाने / प्रेमचंद सहजवाला
- किसी को अम्न की थोड़ी सी इल्तिजा है क्या / प्रेमचंद सहजवाला
- उस अँधेरी रात में बस दिल दरख्शां थे सभी / प्रेमचंद सहजवाला
- भीड़ के बीच गुज़र जाने की कूव्वत रख ले / प्रेमचंद सहजवाला
- रिश्तों की राह चल के मिले अश्क बार बार / प्रेमचंद सहजवाला
- ज़िन्दगी में कभी ऐसा भी सफर आता है / प्रेमचंद सहजवाला
- जब कभी मौजें समुन्दर की करेंगी इन्किलाब / प्रेमचंद सहजवाला
- अब कहाँ से आएँगे वो लोग जो नायाब थे / प्रेमचंद सहजवाला
- चलो माज़ी के अंधियारों में थोड़ी रौशनी कर लें / प्रेमचंद सहजवाला
- मगरूर ये चराग दीवाने हुए हैं सब / प्रेमचंद सहजवाला
- तुम्हारे और मेरे बीच फासले तो हैं / प्रेमचंद सहजवाला
- एक छोटी बात कोई आ के समझाना मुझे / प्रेमचंद सहजवाला
- शहृ में चलते हुए सब को यही लगता है क्या / प्रेमचंद सहजवाला
- रातों को यह नींद उड़ाती तनहाई / प्रेमचंद सहजवाला
- इक न इक दिन हमें जीने का हुनर आएगा / प्रेमचंद सहजवाला
- सराबों में यकीं के हम को रहबर छोड़ जाते हैं / प्रेमचंद सहजवाला
- दुनिया को बदलने के इरादे न रखा कर / प्रेमचंद सहजवाला