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"रोशन लाल 'रौशन'" के अवतरणों में अंतर
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रोशन लाल माखीजा
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जन्म | 04 जनवरी 1954 |
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उपनाम | 'रौशन' |
जन्म स्थान | बेतिया, पश्चिमी चम्पारन, बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हमारी बस्ती में (ग़ज़ल-संग्रह, 2010) , समय संवाद करना चाहता है (ग़ज़ल-संग्रह, 2010) | |
विविध | |
आलोचना, समीक्षा और निबन्ध भी लिखते हैं। हास्य-व्यंग्य भी लिखा । हंगेरियाई भाशःआ से हिन्दी में अनुवाद । | |
जीवन परिचय | |
रोशन लाल 'रौशन' / परिचय |
ग़ज़ल संग्रह
ग़ज़लें <sort order="asc" class="ul">
- पेड़ जितने सफ़र में घनेरे मिले / रोशन लाल 'रौशन'
- रूह जब बे-लिबास होती है / रोशन लाल 'रौशन'
- सच के आगे जनाब क्या करते / रोशन लाल 'रौशन'
- काम पैसे से क्या नहीं होता / रोशन लाल 'रौशन'
- दिन की रात की तानाशाही / रोशन लाल 'रौशन'
- इन्सान आज जिन्स है जीवन दुकान है / रोशन लाल 'रौशन'
- झूठ को सच जो मान लेते हैं / रोशन लाल 'रौशन'
- ज़िन्दगी का उधार है मुझ पर / रोशन लाल 'रौशन'
- हौसला हो तो फिर कमन्द भी हो / रोशन लाल 'रौशन'
- कोई रिश्ता रहा न भाई से / रोशन लाल 'रौशन'
- मेरा दुश्मन है दोस्त से अच्छा / रोशन लाल 'रौशन'
- सभाओं में संभल कर बोलते हैं / रोशन लाल 'रौशन'
- माफ़िया घूमते हैं बम लेकर / रोशन लाल 'रौशन'
- टाँग कटाई / रोशन लाल 'रौशन'
- बनी बिगड़ी पचासों बार संसद / रोशन लाल 'रौशन'
- कोई बुश है कोई ओबामा है / रोशन लाल 'रौशन'
- एक अंधी हवस का शिकार आदमी / रोशन लाल 'रौशन'
- नहीं जानता था कि यूँ घात होगी / रोशन लाल 'रौशन'
- अब जलती है अब जलती है / रोशन लाल 'रौशन'
- सब का यही बयान था / रोशन लाल 'रौशन'
- हवसकारों की बस्ती का हर इक मंजर निराला है / रोशन लाल 'रौशन'
- रूप का सोना न धन की प्यास है / रोशन लाल 'रौशन'
- हर कदम आजमाये गये / रोशन लाल 'रौशन'
- शोषकों के बदन दबाते हैं / रोशन लाल 'रौशन'
- सोचो तो औसान नदारद / रोशन लाल 'रौशन'
- शब्द का भरम टूटे / रोशन लाल 'रौशन'
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