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अंगारों पर शबनम / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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अंगारों पर शबनम
रचनाकार | वीरेन्द्र खरे 'अकेला' |
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प्रकाशक | अयन प्रकाशन, महरौली, नई दिल्ली-110030 |
वर्ष | 2012 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़लें |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 121 |
ISBN | 978-81-7408-572-6 |
विविध | 200.00 रूपये |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अपनी बात / अंगारों पर शबनम / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- भूमिका-डॉ कुंअर बेचैन / अंगारों पर शबनम / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- अभिमत 1-माणिक वर्मा / अंगारों पर शबनम / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- अभिमत 2-डॉ देवव्रत जोशी / अंगारों पर शबनम / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- अदावत दिल में रखते हैं मगर यारी दिखाते हैं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- रंज के सैलाब में मुझको बहाकर ले गया / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- सूर्य से भी पार पाना चाहता है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- महकते गुलशनों में तितलियाँ आती ही आती हैं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- भूल कर भेदभाव की बातें / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- फिर पुरानी राह पर आना पडे़गा / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- भले चौके न हों दो एक रन तो आएं बल्ले से / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- अजब क़िस्से सुनाते फिर रहे हैं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- पहले तेरी जेब टटोली जाएगी / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- इस तरह से बात मनवाने का चक्कर छोड़ दे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- सोच की सीमाओं के बाहर मिले / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- झूठ पर कुछ लगाम है कि नहीं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कहां खुश देख पाती है किसी को भी कभी दुनिया / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- नज़र हमारी वहीं पे जाके अटक रही है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- वक्त ढल पाया नहीं है शाम का / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- फिर ज़माने में कहीं रूसवा मेरी चाहत न हो / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- पंखों को आराम दिया कब हरदम रहा उड़ान में / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दूर से ही हाथ जोड़े हमने ऐसे ज्ञान से / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- काम है जिनका रस्ते रस्ते बम रखना / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- वो भड़क उट्ठा ज़रा सी बात पे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ये वक्त मेहमान के आने का वक्त है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- बोले बग़ैर हिज्र का क़िस्सा सुना गया / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- पूछो मत क्या हाल चाल है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ख़ौफ़ खाकर उड़ान छोड़ेगा / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- अनगिन हैं ज़ख़्म तन पर अब तुमसे क्या छुपाना / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कभी तो लौंडा लड़े है कभी लुगाई लड़े / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- इस तरह कब किसी से हारा हूं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दिन बीता लो आई रात / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- अरे नादान क्यों उलझा है तू चूल्हे बदलने में / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- रूठा हुआ है मुझसे इस बात पर ज़माना / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- किस मुअत्तर शय को छू आई हवा / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- न जाने क्यों तेरी यारी में उलझे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कौन कहता है कि हम मर जाएंगे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हुआ सवेरा हमें आफ़ताब मिल ही गया / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हर गाम पर कहीं भी फुलवारियाँ नहीं हैं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- आज कल तो रास्ता अंधे भी दिखलाने लगे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- फिर बढ़ाना द्वार पे पाबंदियाँ / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- मुझको आज मिली सच्चाई / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- डिगरियों का है मिरे साथ भी रेला साहब / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- तबीयत हमारी है भारी सुबह से / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जीतने की अगरचे आस नहीं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कब होती है कोई आहट / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कभी दरीचे कभी छत से मुझको देखती है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दिल को हरेक लम्हा तुम्हारी कमी खली / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कोई मंज़र नज़र को भाता नहीं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हमने कर ली सफ़र की तैयारी / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- बहुत भूखा है बातों में वो तेरी आ नहीं सकता / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- बढ़ते उपचारों का युग है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- उठती शंकाओं पर सोच विचार बहुत आवश्यक है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- स्वप्न सागर पार का बेकार है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दर्द सैकड़ों दिल की दास्तान से गुज़रे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- उमीदों के कई रंगीं फ़साने ढूंढ़ लेते हैं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ली गई थी जो परीक्षा वो बड़ी भारी न थी / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ये घातों पर घातें देखो / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- बात बोले हो बिलकुल खरी / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- इस दौर में ईमान जिसके पास होता है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- ज़हन में हर घड़ी सिक्कों की ही झंकार ठहरे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- आंसुओं को बवाल समझा गया / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- चाहते हैं वृक्ष से छाया घनी / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दर्दे दिल पहुंचेगा अब अंजाम तक / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- इधर से उधर में मरे जा रहे हैं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- क्या बतलाएं हम पर यारो रात वो कितनी भारी थी / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- खून पसीना काम न आया तो गुस्सा आया / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हर ख़ुशी ग़म में बदलती है कहो कैसे हँसूं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- चुप रहेंगे ग़लत पर कदाचित नहीं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- आराम के सुकून के राहत के चार दिन / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जो खुल कर अपनी भी ख़ामी कहते हैं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- चिकित्सकों को मैं यारो बीमार समझ में न आया / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दे गया धैर्यधारण कला बन्धुओ / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- छल किया है छल मिलेगा आपको / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- चाहते जीना नहीं पर जीने को मजबूर हैं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- किसी सूरत नहीं मिलता है अब आराम ऐ भाई / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जान आफत में फंसी है क्या करूं क्या ना करूं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- गुज़रेंगे इस चमन से तूफ़ान और कितने / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- बस गया तेरा ख़्वाब आंखों में / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- रूठा जब से सावन है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला' .
- काम आया बोलने का हौसला कुछ भी नहीं / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कभी कुछ ग़म भी हों हरदम ख़ुशी अच्छी नहीं होती / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- आया तेरा ख़्याल कि आये हसीन ख़्वाब / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- गुल को अंगार कर गया है ग़म / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- मुजरिमों से भी बुरी मुन्सिफ़ों की हेटी हुई / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जाग उठे हैं सपने क्या क्या अय हय हय / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- घुटन से जूझता हूं गीत ख़ुशियों के लिखूंगा क्या / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- क्या पता था यह सियासी खेल खेला जाएगा / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कितने भी हुशियार रहो पर धोखा हो ही जाता है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- जम्हूरी मुल्क में तुम हिटलरी क़ायम करोगे क्या / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हाले दिल क्या सुनाएं मंटोले / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- औरों के भी दिलों की जो पीर जानता है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- बस हवाओं ने इजाज़त उसको दी इतनी ही थी / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- पत्थर को पिघलाने जैसा तुमको प्यार सिखाना है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- हौसलों में उसके लगता है कमी कुछ और है / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- उम्मीद कुछ जगा के भरोसे के आदमी / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- चिकनी चुपड़ी बातों के मतलब मैं बोलूंगा / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- इक ख़्वाब ले रहा है ऊँची उड़ान फिर / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- धर्म भी रंगने लगे हैं कैसे रंगों मे / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- कम से कम इक बार तो मेरी चले / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- वही की वही है कहानी अभी तक / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- छोटी-छोटी बात में ना दिल दुखी करते रहा / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- न निकले कभी भी तेरा प्यार झूठा / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- वक्त को हाथ मलते हुए देखना / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
- दुखी हो जब तुम्हारा मन, अकेला की ग़ज़ल पढ़ना / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'