भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रूप-अरूप / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:05, 8 जून 2016 का अवतरण
रूप-अरूप
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | चन्द्रप्रकाश जगप्रिय |
---|---|
प्रकाशक | निराली दुनिया पब्लिकेशन्स,नई दिल्ली |
वर्ष | 2013 |
भाषा | अंगिका |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 48 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- प्यार हृदय के हेनोॅ बोलै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- प्रेम सही में सब में पावन / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- तोरोॅ रूप शरत के छवि रं / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- आँख, काम के भाखन छेकै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- खाली नै शृंगार करोॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- पिया-पिया हो, सेज चलोॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- प्राणप्रिया, छौं वास कहाँ नै ! / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- तोरोॅ साथ रहेॅ जों हरदम / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- तोरा पावी केॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- तोरोॅ रूप; सुधा ज्यों बरसेॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- भाव उठावै तोरोॅ हेला / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- के तोरोॅ ई रूप गढ़लकौं / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- हमरा सें तोहें की पूछोॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- तोरे याद, बसै छै मन में / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- कुछ नै चाहौं साथ रहोॅ बस / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- दूर-दूर कैन्हें छोॅ; आवोॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- तोंही चाँद, तोंही तेॅ सूरज / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- हर क्षण लागै छै, आवै छोॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- हर क्षण हेने ही लागै छै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- दिन में गहन, गहन में दिन छै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- तोरा सेॅ केन्होॅ लगाव छै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- खाली ई सौगन्धे खैतें / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- केकरोॅ कथा चमेली-बेली / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- की वसन्त, की चैत सुहावै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- पाती लिखी-लिखी की करलौं / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- तोरे कहाँ भरोसोॅ रहलै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- कस्तूरी के गेलै ऊ दिन / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- कत्तेॅ सूनोॅ जिनगी ई छै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- एक्को पल, सौ साल लगै छै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- प्रेम बिना जे जीवन जीयै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- के तोहें छेका सच कहियोॅ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- के गावी केॅ गीत सुनैतै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- खूब जलेॅ तन-मन; कोय दुख नै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- घिरलोॅ आवै घोर घटाघन / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
- कहिया ऊ दिन लौटी ऐतै / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय