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'अना' क़ासमी से जुड़े हुए पृष्ठ
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देखें (पिछले 50 | अगले 50) (20 | 50 | 100 | 250 | 500)- ख़बर है दोनों को दोनों से दिल लगाऊँ मैं/ ‘अना’ (← कड़ियाँ)
- बहुत वीरान लगता है तेरी चिलमन का सन्नाटा / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- ख़बर है दोनों को दोनों से दिल लगाऊँ मैं/ ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- खेंची लबों ने आह के सीने पे आया हाथ / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- कभी हां कुछ मिरे भी शेर के पैकर में रहते हैं / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- माने जो कोई बात तो इक बात बहुत है / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- ये अपना मिलन जैसे इक शाम का मंज़र है / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- कवर टिप्पणी / डॉ.बशीर बद्र (← कड़ियाँ)
- कभी वो शोख़ मिरे दिल की अंजुमन तक आए/ ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- ये फ़ासले भी सात समुन्दर से कम नहीं / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- बाजुओ पर दिये परवाजे़ अना दी है मुझे / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- वो आसमाँ मिज़ाज कहां आसमाँ से था / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- रहता है मशग़ला जहां बस वाह वाह का / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- खामोश यूं खड़े है शजर रहगुज़र के बीच / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- शाम के साने से जब आंचल ढले / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- क़तआत / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- रूठना मुझसे मगर खुद को सज़ा मत देना / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- जा चुका है सब तो अब क्या जाएगा / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- भूमिका / डॉ. बहादुर सिंह परमार (← कड़ियाँ)
- जब कोई उसपे जान देने लगे / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- किससे पूछूं ऐ फ़लक़ हालात का सूरज है कौन / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- ज़ख़्म महकेंगे तो आहों में असर भी आएगा / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- कजकुलाही से न मतलब रेशमी शालों से है / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- दोज़ख सी ये दुनिया भी सुहानी है कि तुम हो / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- वाक़या है या के तेरा जिक्र अफ़सानों में है / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- मसलहत खे़ज़ ये रियाकारी / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- मिरी ख़ातिर ये नादानी करोगे / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- गेसू घटा हैं बर्क़ नज़र में समाई है / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- खिल उठा फूल सा बदन उसका / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- कब नहीं खूने जिगर छिड़का तिरे उनवान पर / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- एक जानिब से कहां होती हैं सारी ग़लतियाँ / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- कौन बातों में आता है पगले / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- किया है शायरी का शौक़ फिर क्या यार शरमाना / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- मिरी तबाही का वो ही इरादा रखते हैं / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- आँखों में पढ़ रहा है मुहब्बत के बाब को / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- रमूज़े-रंग खुशबू की ज़बां को कौन समझेगा / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- गुल जो दामन में समेटे हैं शरर देख लिया / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- क़तअ़ात / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- उस शख़्स की अजीब थीं जादू बयानियाँ / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- ये जुमला बहुत पहुंचे फ़क़ीरों से कहा है / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- शहरे दिल हो के क़रिया-ए-जां हो / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- ये भयानक सियाह रात निकाल / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- उसकी रहमत का इक सहाब उतरे / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- अश्क़ इतने हमने पाले आँख में / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- मीठी सी चुभन/ 'अना' कासमी (← कड़ियाँ)
- उस क़ादरे-मुतलक़ से बग़ावत भी बहुत की / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- हमारे बस का नहीं है मौला ये रोज़े महशर हिसाब देना / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- उससे कहना कि कमाई के न चक्कर में रहे / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)
- हारे थके परिन्दों से कहती है शाम कुछ / ‘अना’ क़ासमी (← कड़ियाँ)