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| * [[क़तरा-क़तरा बिखर गए बादल / विनय कुमार]] | | * [[क़तरा-क़तरा बिखर गए बादल / विनय कुमार]] |
| * [[गुज़र गया फूलों का मौसम चर्चा फ़िऱ भी फूल की / विनय कुमार]] | | * [[गुज़र गया फूलों का मौसम चर्चा फ़िऱ भी फूल की / विनय कुमार]] |
− | * मोड़ तीखे हो गए डरने लगे हैं रास्ते / विनय कुमार
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− | * तोडियें मत और इन टूटी ज़मीनों को / विनय कुमार
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− | * बात की बिगड़ी हुई बस रात में है / विनय कुमार
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− | * देख कर बगुला भगत को मछलियाँ खाते हुए / विनय कुमार
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− | * आपके ईमान के जैसा हुआ है आईना / विनय कुमार
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− | * बंदों को हमराज़, खुदाओं को नाराज़ बनाता हूँ / विनय कुमार
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− | * एक क़तरा भी जहाँ बेमौत मारा जाएगा / विनय कुमार
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− | * स्वप्न था यह आपका ही सूर्य धरती से उगे / विनय कुमार
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− | * ज़िद में बसने की भटकना होगा अब बसेरा कहीं नहीं दिखता / विनय कुमार
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− | * शबों के हाथ में खंज़र थमा गया कोई / विनय कुमार
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− | * सब्ज़ बागों के फ़रेबात के सिवा क्या है / विनय कुमार
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− | * सख्त सौदागर समय है यूं हमें रहने न दे / विनय कुमार
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− | * ज़हरवाले न हों कोई जगह ऐसी नहीं होती / विनय कुमार
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− | * पूरी साड़ी फटी हुई है, नयी किनारी दिल्ली में / विनय कुमार
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− | * एक भी मिसरा सुबह की धूप से कमतर नहीं / विनय कुमार
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− | * रास आई है फिज़ा जबसे इबादतग़ाह की / विनय कुमार
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− | * इक बियाबान में सपनों के सफ़र होता है / विनय कुमार
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− | * जब कभी प्यार ज़माने से खार खाता है / विनय कुमार
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− | * आ गया सूरज बहुत नज़दीक अब कुछ सोचिए / विनय कुमार
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− | * मौत से था डर जिन्हें सब घर गए / विनय कुमार
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− | * अक़ल का कब्ज़ा हटाया जा रहा है / विनय कुमार
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− | * हम तो आशिक है बारिश के कब से शीश मुड़ाकर बैठे / विनय कुमार
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− | * दरिया बहाके बोल कि चिड़िया उड़ाके बोल / विनय कुमार
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− | * सच कहूं तो है यही उम्मीद की असली वजह / विनय कुमार
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− | * शाम के पहले बहुत पहले हुआ सूरज हलाल / विनय कुमार
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− | * माना, मेरा मुह सी दोगे, उसकी जीभ कतर दोगे / विनय कुमार
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− | * परिंदों ने समेटे पर ज़रा सी धूप बाक़ी है / विनय कुमार
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− | * हाथ पे हाथ बुरी बात हटा ले कोई / विनय कुमार
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− | * आँकड़ों से पीटना सरकार को महंगा पड़ा / विनय कुमार
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− | * हज़ार ख़्वाब हमारी शबों में आते हैं / विनय कुमार
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− | * हम अपनी बाग़ी चीखों के चलते जो मशहूर हुए / विनय कुमार
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− | * नक्शा जो मन के कागज़ पर बनता है / विनय कुमार
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− | * स्याहियों में घुली फिज़ा मानो / विनय कुमार
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− | * दे गई है पाक पुड़ियों में ज़हर तिरछी हँसी / विनय कुमार
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− | * तकाज़ा वक़्त का है ख़्वाब चीज़ों में बदल जाएँ / विनय कुमार
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− | * मिट्टी हुई है लावा, दहका हुआ फ़लक है / विनय कुमार
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− | * तेरी आँख नम तू बुझा हुआ / विनय कुमार
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− | * फ़ल्सफ़े में फ़ँस गए हम सब्र में घाटा हुआ / विनय कुमार
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− | * कह रहे औज़ार साये से कि घबराये नहीं / विनय कुमार
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− | * फूल जैसा खिला खिला कहिए / विनय कुमार
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− | * मेहरबानी बाँटिए, नामेहरबानी बाँटिए / विनय कुमार
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− | * फ़कीरों के लिए खोटी चवन्नी फेंकते रहिए / विनय कुमार
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− | * दर्द खोटा क्यों लगा, सोना खरा कैसे लगा / विनय कुमार
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− | * संतों ने साहिबान ने छोटा किया मुझे / विनय कुमार
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− | * हमको परहेज़ है साहब कहाँ बदलने से / विनय कुमार
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− | * कुछ लोग इस तरह से ख़बरें खुरच रहे हैं / विनय कुमार
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− | * आग ग़ज़लों को पिलाकर सर्दज़ाँ हो जाइए / विनय कुमार
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− | * चाहिए इसको विभीषण इसे लंका चाहिए / विनय कुमार
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− | * उर्दू में ग़ज़ल कहिए हिन्दी में ग़ज़ल कहिए / विनय कुमार
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− | * आपकी खुशुबुएँ उड़ा लाए / विनय कुमार
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− | * झील लिखिए कि समंदर लिखिए / विनय कुमार
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− | * मुल्क को चौहियों से वह दिलाएगा निज़ात / विनय कुमार
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− | * चांद से नाराज़ हूँ मैं, चांद है मुझ से ख़फ़ा / विनय कुमार
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− | * लगी है आग हवाओं से बात करता है / विनय कुमार
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− | * हर तरफ़ स्याह समंदर दिखाई देता है / विनय कुमार
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− | * जहाँ बर्फ की निर्मम परती रहती है / विनय कुमार
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− | * एक सच के मायने सौ कर लिए मुमकिन जनाब / विनय कुमार
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− | * सब समझते हैं क्या ज़रूरी था / विनय कुमार
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− | * शेख पीते तो नहीं हैं शराबखाने में / विनय कुमार
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− | * जिसने प्रतिबंधों का दर्द सहा होगा / विनय कुमार
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− | * मैं नदी का शोर हूँ मैं हूँ परिंदों का बयान / विनय कुमार
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− | * आपकी शह पर कुएँ का जल समूचा पी गयी / विनय कुमार
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− | * आततायी जल हटाना चाहते हैं बुलबुले / विनय कुमार
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− | * कोई मस्त मलंग लिफ़ाफ़ा / विनय कुमार
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− | * जो भी अपनी गांठे ज़्यादा बाँधेगा कम खोलेगा / विनय कुमार
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− | * आप तालाब में ज़हर रखिए / विनय कुमार
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− | * एक पत्थर को निशाना साधकर छोड़ा गया / विनय कुमार
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− | * चांदी खो कर चांद सुनहरा सूरज से जाकर पूछो / विनय कुमार
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− | * कर रहे हैं सब हरे पत्ते इसे महसूस / विनय कुमार
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− | * किन रिवाज़ों के शहर में आ गए बसने लगे / विनय कुमार
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− | * पर समेटे बदन-बदन चिड़िया / विनय कुमार
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− | * बरसात है, हर शख़्स का घर डूब रहा है / विनय कुमार
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− | * बारिशों की रहमतें जर्जर घरों से पूछिए / विनय कुमार
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− | * सिर्फ अपनी आँख में कब तक बड़ा कोई रहे / विनय कुमार
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− | * दंश की आदत छुडा दें शब्द तो कुछ बात हो / विनय कुमार
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− | * गढ़ गया होगा उसे भी क्या सियासी चाक है / विनय कुमार
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− | * कुछ तो उठा ज़मीं से, कुछ आसमां से उतरा / विनय कुमार
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− | * कितने सैनिक, कितने पहरे / विनय कुमार
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− | * जंगल से भाग आए थे हम आग के डर से / विनय कुमार
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− | * सोचा था सोचों को हम लें सींच बहस में / विनय कुमार
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− | * गर्म है सच की चिता / विनय कुमार
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− | * बोलतीं आँखें यक़ीनन देवता सोया न था / विनय कुमार
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− | * खिज़ां के खुश्क पत्तों से जहाँ बिखरे हुए चेहरे / विनय कुमार
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− | * रात अपनी स्याहियों से धो गयी है / विनय कुमार
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− | * क्या इसमें अब सिज़दा करना / विनय कुमार
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− | * पानियों में एक तिनका, आसमानों में खजूर / विनय कुमार
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− | * जंग की तैयारियाँ होने लगीं / विनय कुमार
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− | * हार छप्पर की नहीं है / विनय कुमार
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− | * कानों में लफ़्ज़ों का कचरा उफ़ मैने कुछ सुना नहीं / विनय कुमार
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